भारत रत्न देकर मोदी ने कांग्रेस की संकीर्णता की उजागर : शशिमोहन सिंह क्षेम
संकल्प सवेरा, जौनपुर। मोदी ने दलीय सीमा तोड़कर दिया भारत रत्न
पहले एक परिवार को ही मिलता रहा यह सम्मान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंहाराव पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर तथा कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा से विपक्षी दल हतप्रभ हैं। इसे प्रधानमंत्री की चुनावी रणनीति माना जा रहा हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि भारत रतन से सम्मानित होने वालों में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम है तो वहीं चौधरी चरण सिंह, नरसिंहा राव, कर्पूरी ठाकुर विपक्षी दलों के नेता हैं। प्रधानमंत्री ने यह सराहनीय कार्य दलीय सीमा से उपर उठकर किया। इसके पूर्व इन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेत रहे। विपक्ष उनके इस कदम का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है। विपक्षी इतना अवश्य कह रहा है कि भारत रत्न देने का यह कार्य आगामी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले किया। इसका लाभ मोदी को चुनाव में मिलना तय भी हैं। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिये जाने पर रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री की भूरि-भूरि प्रशंसा की ते महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सीएम अखिलेश यादव इस घटना से अवश्य तिलमिला उठे होंगे। कारण यह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा की सात सीटों को रालोद को दिये जाने पर अखिलेश यादव से सहमति बन चुकी थी। अब स्वयं अखिलेश यादव बता रहे हैं कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष से उनकी बातचीत नहीं हुई। राजनीति के विश्लेषक मानते हैं कि जयंत चौधरी को महागठबंधन का भविष्य ठीक नहीं लग रहा है। ऐसे में वे भाजपा के साथ मिलकर सत्ता में भागीदार बनने का स्वप्न देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर किसानों का दिल जीतने का काम किया तो वही दूसरी ओर कर्पूरी ठाकुर के इसी रत्न से अलंकृत कर पिछड़े वर्ग को भी प्रभावित किया। नरसिम्हा को भारत रत्न देकर मोदी ने दक्षिण भारत में अपनी पैठ बनाने का काम किया है। इस प्रकार उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधकर विपक्षी दलों की बोलती बंद कर दी। देश की जनता यह जान चुकी है कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में रहते हुए केवल नेहरू परिवार तक सीमित रह गयी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू तो अपने कार्यकाल में भारत रत्न ले लिया था। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और स्व. राजीव गांधी को कांग्रेस के शासन में भारत रत्न दिया गया। कांग्रेस सरकार ने दूसरे दलों के बड़े नेताओं की बात तो दूर रही अपने ही दल के दूसरे नंबर के नेता सरदार बल्लभ भाई पटेल तक को भारत रत्न के योग्य नहीं समझा। इस बार जिन्हे योगदान दिया गया उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। चौधरी चरण सिंह की किसान नेता के रूप में पूरे देश में पहचान रही तो वहीं कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षण लागू करके सामाजिक न्याय के पुरोधा के रूप में उभरे थे। कृषि वैज्ञानिक स्वामी नाथ को भारत रत्न दिया जाना एक संयोग नहीं है उनके योगदान के साथ पूर्व की सरकारों ने न्याय नहीं किया।