सरकारी ज़मीन पर काबिज़ भू-माफ़िया के भवनों पर नहीं गरजेगा बुलडोजर, भरेंगे कम्पाउंड फीस, बनेंगे सरकार के किराएदार।
-डीएम ने बची झील में पिकनिक स्पॉट और शहर को सुंदर बनाने का मन बनाया, हर रचनात्मक कार्य होगा योगी सरकार की मंशा के अनुसार।
वरिष्ठ पत्रकार कैलाश सिंह के facbook वाल से
संकल्प सवेरा जौनपुर। साढ़े छह दशक में भू- माफ़िया सरकारी ज़मीनों ग्रीनलैंड, पार्क, झील पर कब्जा ही नहीं किए बल्कि चार-पांच दशक पूर्व शहर में दो बार आई बाढ़ के पानी में चली नाव को दरकिनार करते हुए वन विहार से निकला नाला चांदमारी होते हुए जब झील में पहुंचा तो उसे भैंसा नाला का नाम मिल गया जो आगे जाकर गोमती में पानी छोड़कर शहर को बाढ़ से बचाता रहा है। कालांतर में भू-माफिया उसे अपने अनुसार सर्पाकार बनाते हुए भूमिगत यानी दफना दिए।
लेकिन अब फिर वही नाला अपना वास्तविक रूप पाएगा।
सरकारी जमीन पर काबिज़1600 में से दर्जनों बड़े भू- माफ़िया के भी भवनों पर हर सम्भव बुलडोजर नहीं चलेंगे। लेकिन उन्हें हर्जाना भरना पड़ेगा। ये हर्जाना, ज़मीन के उपभोग, बगैर मैप पास कराए या फर्जी तरीके अपनाने पर भी लगेगा। इसके बाद उनपर से भू-माफ़िया का तमगा हट जाएगा और वे सब सरकार के किराएदार हो जाएंगे। यह सब शासन की सहमति और मंशा पर निर्भर करेगा। यदि राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों से अलग हटकर देखें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके शासन पर कोई उंगली नहीं रख सकता है।
उन्होंने ब्यरोक्रेट्स के ही जरिये कोरोनकाल से 20 से अधिक घण्टे खुद काम शुरू किया तो अब तक नहीं रुके। अकेले जौनपुर में 95 उन बच्चों को एक निश्चित रक़म मिलेगी जिनके मां-बाप या कमाने वाले भाई कोरोना में अपनी जान गंवा बैठे। इनके चयन में जाति या सम्प्रदाय नहीं देखा गया। यह इस बात का सुबूत है कि सीएम योगी भेदभाव से परे हैं। हर गरीब को इलाज, छत, भोजन और श्रमिकों को काम मिले यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फंडा है जिसे यूपी में सीएम योगी और जिले में इन कार्यों के साथ डीएम मनीष कुमार वर्मा ईमानदारी बरत रहे हैं। आज़ एक संक्षिप्त मुलाकात में श्री वर्मा की सादगी और मेहनत भी देखने को मिली। वह कोरोना में 95 अनाथ हुए बच्चों के प्रमाणपत्र तैयार कराने में लगे रहे। मेरे सहयोगी साथी सै. कमर हसनैन दीपू एवं रवि राजन श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। 2016 में सांसद योगी आदित्यनाथ को करीब से देखने, बातचीत करने के कई मौके मिले।
उस दौरान वह जैसे नज़र आए वैसे ही सीएम बनने के बाद हुई मुलाकातों में उन्हें पाया। उनकी सादगी और कार्य के तरीके में रत्तीभर फर्क नहीं आया। ये जानकारी मैं अपने मित्रों और पाठकों को दे रहा हूँ। इसमें दलगत भावना नहीं है। यदि ऐसा रहता तो अपने शहर को सुंदर देखने की ललक क्यों पालता और खतरनाक भू-माफ़िया से पंगा क्यों लेता।आज़ उसी का नतीजा सामने है कि सरकारी भूमि पर बने अवैध भवन गिराकर खंडहर बनाने की बजाय रचनात्मक सोच के तहत विधि सम्मत और शासन की गाइडलाइन से जौनपुर को सुन्दरतम रोल मॉडल बनाने में डीएम श्री वर्मा लगे हैं।
वह पब्लिक से मिलने में आमजन और वीआईपी में कोई फर्क नहीं करते। झील में पिकनिक स्पॉट बनाने की अपनी मंशा उन्होंने शासन तक पहुंचा दी है, सहमति मिलने पर विकास पुरुष ठाकुर कमला प्रसाद सिंह का सपना साकार हो जाएगा। इस सपने में भी कोई दलगत बात नहीं है।