श्वासों की साधना है योग – अचल हरीमूर्ति
ध्यान और प्राणायामों के अभ्यासों से संतुलित रहती है श्वासें – अचल हरीमूर्ति
सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए वरदान है योग – हरीमूर्ति
संकल्प सवेरा, जौनपुर। आध्यात्मिक स्वानुसाशन के मूल सिद्धांत पर आधारित योग एक जीवन पद्धति है। योग एक उच्चतम कोटि की चिकित्सा पद्धति के साथ उच्चतम कोटि की साधना पद्धति भी है। योग के मौलिक घटकों में ध्यान और प्राणायामों का विशेष महत्व भी है।जब एक व्यक्ति नियमित और निरन्तर ध्यान और प्राणायामों का अभ्यास करता है तो उसकी श्वासें विशेष ढंग से लयबद्ध हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति की चेतना निरन्तर अग्रसर होती रहती हैं और उस व्यक्ति का मनोदैहिक स्वास्थ्य सर्वोत्तम हो जाता है। यह बातें लोहिया पार्क स्थित परिसर में चल रहे एडवांस योग प्रशिक्षण शिविर में पतंजलि योग समिति के सह राज्य प्रभारी अचल हरीमूर्ति के द्वारा कही गई है। योग प्रशिक्षक अरविन्द कुमार और सुजाता झा के द्वारा कमर, रीढ़ की हड्डी, सर्वाइकल, स्पोंडलाइटिस और आर्थराइटिस से संबंधित समस्याओं से समाधान हेतु खड़े होकर, बैठकर, पेट और पीठ के बल लेटकर मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, शशकासन, उत्तान पादासन के साथ सरल और सहज व्यायामों का अभ्यास कराते हुए उनसे होने वाले लाभों को भी बताया गया। श्री हरीमूर्ति के द्वारा बताया गया कि ध्यान और प्राणायामों के नियमित और निरन्तर अभ्यासों से बिमार पड़ी हुई हर एक कोशिश स्वस्थ होती हैं जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है। भ्रामरी और उद्गगीथ प्राणायामों के अभ्यासों से व्यक्ति की मनःस्थिति पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण अनिद्रा, तनाव, बेचैनी और अवसाद जैसी अनगिनत समस्याओं से पूर्णतः निजात पा लेता है। जब किसी विशेष आसन में लम्बे समय तक कपालभाति, अनुलोम-विलोम, वाह्य प्राणायाम और उज्जयी प्राणायामों का अभ्यास किया जाता है तो यह प्रक्रिया इंटिग्रेटेड योगाभ्यास कहलाती है और इस तरह के अभ्यासों से थायराइड, पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र के साथ डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, कीडनी, लीवर और मस्तिष्क से सम्बंधित अनेकों समस्याओं में बेहतर निदान प्राप्त होता है।