हड्डी रोगी ठंडक में सतर्कता बरतें: डॉ. रॉबिन सिंह

सर्दियों का मौसम जहाँ एक ओर आम जनजीवन में ताजगी, स्फूर्ति और ऊर्जा लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह मौसम हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए कई तरह की चुनौतियाँ खड़ी कर देता है। ठंडक बढ़ते ही जोड़ों का दर्द, अकड़न, सूजन, गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) और अन्य अस्थि रोगों से ग्रस्त रोगियों की परेशानी बढ़ने लगती है। ऐसे में अस्थि रोगियों के लिए जरूरी है कि वे मौसम की कठोरता से बचने के लिए उचित सावधानी बरतें, ताकि ठंड का असर उनके शरीर पर कम पड़े और जीवन सामान्य बना रहे।
ठंड का असर हड्डियों पर क्यों बढ़ जाता है
सर्दी के मौसम में तापमान घटने के साथ-साथ शरीर की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ने लगती हैं। इससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है और हड्डियों व जोड़ों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति कम होने लगती है। नतीजतन, जोड़ों में अकड़न और दर्द महसूस होने लगता है। इसके अतिरिक्त, शरीर की मांसपेशियाँ भी ठंड के कारण सख्त हो जाती हैं, जिससे हड्डियों पर दबाव बढ़ता है और दर्द अधिक महसूस होता है।
गठिया (आर्थराइटिस) के रोगियों के लिए यह मौसम और अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। ठंड में शरीर की संवेदनशीलता बढ़ जाती है, जिससे जोड़ों में जलन और सूजन की शिकायत भी होने लगती है। जिन लोगों की हड्डियाँ पहले से कमजोर हैं या जिनका कोई हड्डी संबंधित ऑपरेशन हुआ है, उन्हें ठंड में विशेष सावधानी रखनी चाहिए, क्योंकि ठंड उनकी रिकवरी की गति को भी धीमा कर सकती है।
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सर्दी में हड्डियों से जुड़ी आम समस्याएँ
1. गठिया (Arthritis):
यह सबसे सामान्य समस्या है जो ठंड में अधिक बढ़ जाती है। इसमें जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न महसूस होती है।
2. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis):
इसमें हड्डियाँ कमजोर होकर आसानी से टूटने लगती हैं। ठंड में कैल्शियम की कमी और धूप की कमी से यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
3. संधिशोथ (Rheumatoid Arthritis):
यह एक ऑटोइम्यून रोग है जो सर्दी में अधिक सक्रिय हो जाता है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर ही हमला करने लगती है जिससे सूजन और दर्द बढ़ जाता है।
4. कमर और गर्दन दर्द:
ठंड में मांसपेशियाँ सख्त हो जाने से स्पाइन पर दबाव पड़ता है, जिससे पीठ, कमर और गर्दन में दर्द होने लगता है।
5. मांसपेशियों में खिंचाव:
सर्दी में शरीर का तापमान गिरने पर मांसपेशियाँ लचीली नहीं रहतीं, जिससे अचानक हिलने-डुलने पर खिंचाव हो सकता है।
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ठंड में हड्डी रोगियों के लिए सतर्कता और बचाव के उपाय
1. शरीर को गर्म रखना आवश्यक है
सर्दी में सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि शरीर का तापमान संतुलित रहे। ठंडी हवा और नमी से हड्डियों पर सीधा असर पड़ता है, इसलिए गर्म कपड़े, ऊनी दस्ताने, मोजे और टोपी पहनें। घर से बाहर निकलते समय हमेशा शरीर को ढककर रखें। विशेषकर घुटने, कमर और कंधे जैसे जोड़ों को ठंडी हवा से बचाना अत्यंत जरूरी है।
2. सुबह की सैर से पहले तैयारी करें
हड्डी रोगियों को पूरी तरह से ठंडी हवा में निकलने से पहले शरीर को हल्का गर्म कर लेना चाहिए। यदि संभव हो तो सुबह की सैर धूप निकलने के बाद करें। घर में हल्की स्ट्रेचिंग या योगासन करने से शरीर गर्म रहता है और जोड़ों की अकड़न कम होती है।
3. धूप का सेवन करें
सर्दी में अक्सर लोग धूप से बचते हैं, जबकि यही समय है जब धूप सबसे अधिक लाभकारी होती है। सुबह की धूप से शरीर में विटामिन D बनता है, जो कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। रोजाना कम से कम 20–30 मिनट धूप में बैठना हड्डियों के लिए बेहद फायदेमंद है।
4. भोजन में पोषक तत्वों का समावेश करें
हड्डी रोगियों के आहार में कैल्शियम, विटामिन D, विटामिन C, मैग्नीशियम और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम, तिल, अंडे, मछली और सोया उत्पादों को नियमित आहार में शामिल करें।
साथ ही, ठंड में शरीर को ऊष्मा देने वाले खाद्य पदार्थ जैसे गुड़, मेथी, अदरक, लहसुन, तिल और मूंगफली का सेवन भी लाभदायक रहता है।
5. नियमित व्यायाम करें
सर्दी के मौसम में आलस्य बढ़ जाता है, लेकिन यही समय है जब शरीर को सक्रिय रखना जरूरी होता है। नियमित व्यायाम करने से रक्त प्रवाह सुधरता है और जोड़ों की जकड़न कम होती है। हल्की स्ट्रेचिंग, योग, प्राणायाम, तैराकी (गरम पानी में) और वॉक जैसे हल्के व्यायाम बेहद लाभकारी हैं।
कठोर या झटके वाले व्यायाम से बचें, क्योंकि इससे हड्डियों पर दबाव बढ़ सकता है।
6. पर्याप्त पानी पिएं
ठंड के मौसम में प्यास कम लगती है, परंतु शरीर में पानी की कमी हड्डियों और जोड़ों की चिकनाई घटा सकती है। इससे दर्द बढ़ने लगता है। इसलिए दिनभर में पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पीते रहें।
7. मालिश और गर्म सिकाई करें
सर्दी में सरसों, तिल या नारियल के तेल से हल्की मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है और दर्द में राहत मिलती है। जोड़ों पर हल्की गर्म सिकाई करने से भी अकड़न कम होती है।
हालाँकि, ध्यान रखें कि बहुत अधिक गर्म सिकाई न करें और यदि सूजन हो तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
8. तनाव से दूर रहें
मानसिक तनाव भी हड्डी और मांसपेशियों के दर्द को बढ़ा सकता है। योग, ध्यान, संगीत या प्रकृति के बीच समय बिताने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर में हार्मोनल संतुलन बना रहता है।
9. नियमित जांच और चिकित्सकीय परामर्श लें
हड्डी रोगियों को सर्दी के दौरान अपने डॉक्टर से नियमित सलाह लेनी चाहिए। यदि दर्द, सूजन या अकड़न अत्यधिक बढ़ जाए तो स्वयं दवा लेने के बजाय विशेषज्ञ की राय लें।
हड्डियों की मजबूती की जांच के लिए Bone Density Test (DEXA Scan) कराना भी उपयोगी हो सकता है।
10. पर्याप्त नींद लें
सर्दी में देर तक जागने और नींद पूरी न होने से शरीर की रिकवरी प्रक्रिया धीमी हो जाती है। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना 7–8 घंटे की नींद आवश्यक है।
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वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सावधानियाँ
बुजुर्गों में हड्डियों की घनत्व कम हो जाती है, जिससे वे गिरने और फ्रैक्चर का शिकार जल्दी हो सकते हैं।
घर में फर्श पर फिसलन न हो, कालीन या रबर मैट बिछाएँ।
सीढ़ियों पर रेलिंग का प्रयोग करें।
चलते समय सहारा लें और आरामदायक जूते पहनें।
लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से बचें।
सर्दी में गिरने से हिप फ्रैक्चर (कूल्हे की हड्डी टूटना) के मामले अधिक देखने को मिलते हैं, जो बुजुर्गों के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।
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प्राकृतिक उपचार और घरेलू उपाय
1. गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना:
यह सूजन कम करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है।
2. मेथी और लहसुन का सेवन:
मेथी में पाए जाने वाले तत्व सूजन कम करते हैं, जबकि लहसुन जोड़ों की दर्दनाशक औषधि है।
3. तिल और गुड़ का लड्डू:
सर्दी में ऊर्जा देने के साथ-साथ यह कैल्शियम की पूर्ति करता है।
4. अदरक की चाय:
यह रक्त संचार को बढ़ाती है और हड्डी दर्द में राहत देती है।
ठंड का मौसम अस्थि रोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण अवश्य है, लेकिन थोड़ी सी सतर्कता, संतुलित जीवनशैली और सही खानपान से इस मौसम का सामना आसानी से किया जा सकता है। शरीर को सक्रिय रखें, पर्याप्त धूप लें, गरमाहट बनाए रखें और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
याद रखें — हड्डियों की मजबूती सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि संतुलित दिनचर्या, सकारात्मक सोच और नियमित देखभाल से बनी रहती है। ठंड में सतर्क रहकर ही अस्थि रोगी स्वस्थ, सक्रिय और प्रसन्न जीवन जी सकते हैं।












