हारी सीटों पर जीत के लिए बिसात बिछाने में जुटी भाजपा
धनंजय सिंह,सुशील सिंह व विनीत सिंह की भी नजर संसद पर…
बीजेपी के लिए क्यों अहम है पूर्वांचल
संकल्प सवेरा। यूपी में भाजपा ने 40 से 50 फीसदी सांसदों का टिकट काटने का मन बना रही है तो दूसरी ओर अन्य पार्टियां भी प्रत्याशी चयन में फूंक फूंक कर कदम रख रही हैं। कुल मिलाकर सबको जिताऊ और टिकाऊ प्रत्याशी की चाह है। इसमें कौन कितना सफल होगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा। फिलहाल, खोजबीन जारी है। टिकट की चाह रखने वाले इन दिनों गणेश परिक्रमा में व्यस्त हैं। वे लखनऊ दिल्ली से लेकर पटना तक अपना जुगाड़ खोजने में लगे है।
भाजपा पिछले लोकसभा में हारी 14 सीटों पर जातीय समीकरणों को मजबूत कर पासा पलटने की मुहिम में जुटी है। पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बाद विपक्षी दलों के कई चेहरों को अपने खेमे में शामिल कराना पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा है। अब तो नीतीश कुमार भी NDA में पुनः शामिल होकर विहार में पुनः भाजपा गठबंधन से सरकार बना लिए है जिसका प्रभाव उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। सूत्रों की माने तो पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर जल्द ही मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएंगे। भाजपा ने पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमी उप्र में सहारनपुर और मुरादाबाद मंडलों की लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 62 और उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने मीरजापुर और राबर्ट्सगंज दो लोकसभा सीटें जीती थीं। बाकी 16 सीटें बसपा , सपा और कांग्रेस के खाते में गई थीं। उपचुनाव में भाजपा ने
आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटें सपा से छीन ली थीं. 14 सीटें अब भी पार्टी के कब्जे से बाहर हैं, जिनमें बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी, रायबरेली, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज शामिल हैं। उपचुनाव में रामपुर और आजमगढ़ सीटों को जीतने के बावजूद भाजपा ने जोखिम के लिहाज से इन्हें भी रेड जोन में रखा है।
धनंजय सिंह,सुशील सिंह व विनीत सिंह की भी नजर संसद पर…
पूर्वांचल के कई बाहुबली विधायकी से ऊब चुके हैं, वे अब संसद में बैठना चाहते हैं। जिसके लिये ये पूरी तैयारी कर चुके हैं। इनमें पहला नाम भाजपा विधायक सुशील सिंह का है। सुशील सैयदराजा से विधायक हैं। वे अब लोकसभा की यात्रा करना चाहते है। जिसके लिये पिछले काफी समय से चंदौली में अपनी पकड़ बना रहे हैं।
दो-तीन माह में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा। इसके लिए सभी पार्टियां प्रत्याशी चयन में जुट गई हैं। कोई बैठक कर रहा है तो कोई संभावित प्रत्याशियों की क्षेत्र में कितनी मजबूत पकड़ है इस बात का पता लगाने में लगे हैं।दुसरे नंबर पर हैं विनीत सिंह । विनीत सिंह – फिलहाल एमएलसी हैं। उनका मिर्जापुर जनपद में अच्छा खासा दबदबा है। विनीत सिंह भाजपा के साथ हैं। इनकी मंशा भी सांसदी लड़ने की है। चूंकि, मिर्जापुर सीट से अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सांसद हैं और उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा है। जिस वजह से इनकी निगाह भी चंदौली पर ही टिकी है।
वही जौनपुर लोकसभा से 2009 में बसपा से सांसद रह चुके धनंजय सिंह भी इसबार संसद की सदस्यता चाहते हैं। इसके लिए वे बराबर जनता के बीच उनके सुख दुख में लगे रहते हैं धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। जबकि धनंजय सिंह विधायक भी रह चुके हैं।
एक नाम और उभरकर सामने आ रहा है वो है बृजेश सिंह का। बृजेश सिंह एक बार एमएलसी रह चुके हैं। जबकि उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह दूसरी बार एमएलसी हैं। बृजेश सिंह के गाजीपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा है।
बीजेपी के लिए क्यों अहम है पूर्वांचल
पूर्वांचल में बीजेपी के लिए गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ जैसे जिले में चुनौती मिल सकती है. यहां के जातीय समीकरण के चलते बीजेपी कमजोर स्थिति में है. 2017 के चुनाव में एनडीए का स्ट्राइक रेट 81 फीसदी था, जबकि पूर्वांचल में 77 फीसदी था, वहीं 2022 विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए का स्ट्राइक रेट 68 फीसदी रहा जो वहीं पूर्वांचल में घटकर 59 फीसद पर चला गया. 2022 में पूर्वांचल के 3 जिलों में बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया था. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो पूर्वांचल की आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर,घोसी और जौनपुर बीजेपी हार गई, जबकि 2014 में इन सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी।
पूर्वांचल में 21 जिले हैं और 26 लोकसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में 130 विधानसभा सीटें हैं. इस इलाके में यूपी की 6.37 करोड़ (2011 की जनगणना) आबादी रहती है जो कुल आबादी का 32% है. पूर्वांचल के जिन इलाकों में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा या फिर विधानसभा में खाता खोलना तक मुश्किल हो गया वो है आजमगढ़, जहां की 10 विधानसभा सीटों पर बीजेपी हार गई, इसके अलावा गाजीपुर की 7 सीटें, कौशाम्बी की 3 सीटें बीजेपी हारी. खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए। बस्ती में 5 सीटें, मऊ में 4 सीटें तो वहीं बलिया जिले की 7 में से 5 सीटों पर बीजेपी हारी दो पर जीत मिली, जौनपुर की 9 में से 4 सीटों पर बीजेपी जीती।
पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 को लेकर बात की जाए तो 2014 में बीजेपी को यहां से 23 सीटों पर जीत हासिल हुई थी वहीं उनकी सहयोगी अपना दल दो सीटों पर जीती। इस तरह एनडीए ने 26 में से 25 सीटों पर फतह हासिल की, जबकि एक सीट पर सपा को जीत मिली। 2019 में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका असर इस इलाके में देखने को मिला। बीजेपी को यहां 4 सीटों का घाटा हुआ और 19 पर जीत मिली अपना दल को दो सीटें मिली वहीं बसपा जो जीरो को बढ़कर 4 सीटों पर जीत हासिल हुई।