संत निरंकारी मिशन द्वारा वर्चुअल रूप में भक्ति पर्व समागम
ईश्वर में अनुरक्ति ही वास्तविक भक्ति है: सतगुरु माता
जौनपुर,संकल्प सवेरा 17 जनवरी 2022 “ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के उपरांत हृदय से, जब भक्त और भगवान का नाता जुड़ जाता है तभी वास्तविक रूप में भक्ति का आरंभ होता है। हमें स्वयं को इसी मार्ग की ओर अग्रसर करना है, जहां भक्त और भगवान का मिलन होता है। भक्ति केवल एक तरफा प्रेम नहीं यह तो ओत- प्रोत वाली अवस्था है। जहां भगवान अपने भक्त के प्रति अनुराग का भाव प्रकट करते है, वही भक्त भी अपने हृदय में प्रेमा भक्ति का भाव रखते हैं।”
यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने वर्चुअल रूप में आयोजित “भक्ति पर्व” समागम समारोह में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा। इसका लाभ मिशन की वेबसाइट के माध्यम द्वारा विश्व भर के श्रद्धालु भक्तों ने प्राप्त किया।
सदगुरु माताजी ने आगे कहा कि जीवन का जो सार तत्व है वह शाश्वत रूप में यह निरंकार प्रभु परमात्मा है। इससे जुड़ने के उपरांत जब हम अपना जीवन इस निराकार पर आधारित कर लेते हैं, तो फिर गलती करने की संभावनाएं कम हो जाती है। हमारी भक्ति का आधार यदि सत्य है तब फिर चाहे संस्कृति के रूप में हमारा झुकाव किसी भी और हो हम सहजता से ही इस मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं। किसी संत की नकल करने की बजाए जब हम पुरातन संतो के जीवन से प्रेरणा लेते हैं तब जीवन में निखार आ जाता है।
यदि हम किसी स्वार्थ की पूर्ति के लिए ईश्वर की स्तुति करते हैं, तो यह भक्ति नहीं कहलाती। भक्ति तो हर पल, हर कर्म को करते हुए ईश्वर की याद में जीवन जीने का नाम है; यह एक हमारा स्वभाव बन जाना चाहिए।
सतगुरु माता जी ने अंत में कहा कि भक्त जहां स्वयं की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने जीवन को निहारता है, वहीं हर किसी के सुख दुख में शामिल होकर यथा संभव उनकी सहायता करते हुए पूरे संसार के लिए खुशियों का कारण बनते हैं।
इस संत समागम में देश-विदेश से मिशन के अनेक वक्ताओं ने भक्ति के संबंध मे अपने भावो को विचार, गीत एवं कविताओं के माध्यम द्वारा प्रकट किया।
उदय नारायण जायसवाल
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