रहीमदास जी ने लिखा है कि – “एकै साधे सब सधे,सब साधे सधि जाय।
रहिमन मूलहिं सींजीबो,फूलै-फलै अघाय।।
अर्थात यदि एक काम को मन से किया जाय तो बाकी सभी कार्य स्वतः हो जाते हैं। जिस प्रकार वृक्ष की जड़ को सींचने मात्र से डालियाँ,पत्ते, फल-फूल अपने आप ही फलते फूलते हैं।
हम बात कर रहें हैं जनसंख्या वृद्धि से होने वाली गम्भीर समस्याओं की जो कि विश्व्यापी हैं।
हाँ यदि उपरोक्त कथनानुसार जनसंख्या भी नियंत्रित हो जाय तो बाकी समस्या (जैसे- बेरोजगारी,भुखमरी, निर्धनता,अशिक्षा आदि जिनका एक मात्र कारण अधिक जनसंख्या का भरण-पोषण करने में असमर्थता) स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी।
मान लीजिए कि घर में एक व्यक्ति कमाने वाला है किंतु उसके 8-10 बच्चे हैं तो वह उनका समुचित भरण पोषण नहीं कर पायेगा।
किसी तरह से वह भोजन कपड़े और मकान की व्यवस्था ही कर सकता है और हो सकता है कि उसमें भी कुछ मुश्किलें हों।
ऐसे परिवार में एक अच्छा-जीवन कल्पना ही होगी।
वहीं यदि माता-पिता दोंनो शिक्षित हों और नौकरी भी करते हो
उनके बच्चों की संख्या 1 से 2 ही हो तो वह उस बच्चे के लिये अच्छी शिक्षा के साथ सभी सुख-साधन उपलब्ध करा देंगे।
अतः जिस तरह से एक छोटा और सीमित परिवार सभी सुख-साधन आसानी से प्राप्त कर सकता है उस प्रकार एक गांव में सीमित जनसंख्या से सभी साधन सुलभ हो सकेंगे।
परिवार से समाज,समाज से देश और फिर पूरा विश्व कम जनसंख्या होने से समस्याओं से मुक्ति पा सकेगा।
अंत में फिर से वही उक्ति ‘”एक साधे सब सधे।”
धन्यवाद,
तृषा द्विवेदी “मेघ”
उन्नाव,उत्तर प्रदेश।