विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर विशेष
क्षय रोगियों को गोद लेने का चलेगा विशेष अभियान
– गोद लेने वाली संस्थाएं उपचार अवधि तक पौष्टिक आहार प्रदान करेंगी
– किट के जरिये मिलेगा पौष्टिक अनुपूरक आहार
– उपचार के दौरान एक भी दिन दवा न छूटने पाए के बारे में भी करेंगी प्रेरित
जौनपुर, संकल्प सवेरा – विश्व क्षय रोग दिवस यानि 24 मार्च से जनपद में उपचाराधीन क्षय रोगियों को चार श्रेणियों में व्यवस्थित कर उन्हें गोद लेने के लिए एक माह का विशेष अभियान चलाया जायेगा । गोद लेने वाली लोकोपकारी, सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाएं व विशिष्ट नागरिक इस अभियान के दौरान 2,357 क्षय रोगियों को गोद लेंगे । इसके साथ ही सक्रिय रोगी खोजी अभियान के दौरान चिन्हित हुये नए क्षय रोगियों को भी गोद लिया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान में जनपद में 18 वर्ष तक के 309 बच्चे, 18 वर्ष के ऊपर के 1,188 पुरुष, 18 वर्ष से ऊपर की 726 महिला तथा मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) के 134 रोगी उपचाराधीन हैं, जिन्हें गोद लिया जाना है। इसके लिए विभाग में युद्ध स्तर पर तैयारियां चल रहीं हैं। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के नेतृत्व में विश्व क्षयरोग दिवस पर अभी तक के समस्त उपचाराधीन क्षय रोगियों (2,357) को गोद लेने की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ ही अभियान के दौरान खोजे जाने वाले नए क्षय रोगियों के भी गोद लेने की व्यवस्था की जाएगी।
इस संबंध में शासन की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। डॉ सिंह ने बताया कि गोद लेने वाली संस्थाएं क्षय रोगियों को अपने स्रोतों से न्यूनतम छह माह अथवा उपचार की अवधि तक पौष्टिक आहार प्रदान करेंगी । यह पौष्टिक आहार प्रत्येक माह पोषण किट के माध्यम से क्षय रोगियों को दिया जाएगा। प्रत्येक किट में मूंगफली (एक किलो), भुना चना (एक किलो), गुड़ (एक किलो), सत्तू (एक किलो), तिल या गजक (एक किलो) तथा अन्य न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट एक किलो दिए जाएंगे। संस्थाएं सम्बंधित क्षय रोगियों को भावनात्मक सहयोग भी देंगी। उन्हें डाट्स के माध्यम से दी जा रहीं दवा बिना अंतराल किए पूरे उपचार तक खाने के लिए प्रेरित करेंगी।
डॉ सिंह ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश को क्षय मुक्त करना सरकार का लक्ष्य है।
इसके लिए जनपद की सम्पूर्ण जनसंख्या के मध्य व्यापक टीबी रोगी खोज के लिए 24 मार्च से घर-घर अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से चलेगा जिसके तहत आशा कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर जिले के 158 हेल्थ वेलनेस सेंटर के माध्यम से क्षय रोगीयों को खोजेंगी। खोजे गए क्षय रोगियों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर नियुक्त कम्युनिटी हेल्थ आफिसर (सीएचओ) के सम्पूर्ण पर्यवेक्षण में उपचार, फालोअप, जांच, डीबीटी एवं अन्य पब्लिक हेल्थ एक्शन सुनिश्चित किया जाएगा। अभियान में जनपद की कुल जनसंख्या के सापेक्ष कुल 6,723 सम्भावित मरीजों का बलगम परीक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है।
पंजीकरण की स्थिति और डीबीटी के आंकड़े : राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक (डीपीसी) सलिल यादव ने बताया कि वर्ष 2020 में 6,239 क्षय रोगियों का पंजीकरण हुआ है, जिसमें से 4,267 सरकारी अस्पतालों से तथा 1,972 निजी अस्पतालों से हुआ है। वर्ष 2021 में 6,569 क्षय रोगियों का पंजीकरण हुआ जिसमें से 4,644 सरकारी अस्पतालों से तथा 1,925 निजी अस्पतालों के मरीज थे। 14 वर्ष तक के बच्चों का वर्ष 2019 में 346, वर्ष 2020 में 275 तथा वर्ष 2021 में 272 पंजीकरण हुआ।
इस तरह से इन तीन वर्षों में 893 क्षय रोग ग्रसित बच्चों का पंजीकरण हुआ। निक्षय पोषण योजना के तहत वर्ष 2018 में 19.60 लाख रुपए, वर्ष 2019 में 88.77 लाख रुपए, वर्ष 2020 में 2.10 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2021 में 1.74 करोड़ रुपए उपचाराधीन मरीजों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत भेजे गए हैं। इस तरह से इन चार वर्षों में करीब 4.92 करोड़ रुपए डीबीटी के माध्यम से भेजे जा चुके हैं।