कफ सिरप सिंडिकेट पर ED का सबसे बड़ा हमला: लखनऊ, वाराणसी, सहारनपुर समेत 25 ठिकानों पर छापे; बर्खास्त STF सिपाही की कोठी से दस्तावेज जब्त
जौनपुर में ईडी की छापेमारी, केदार फार्मा से संबंधित अमर पांडेय के घर पहुंची जांच टीम
कफ सिरप मामले में शुक्रवार को यूपी के कई जिलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की। इसी क्रम में जांच टीम जौनपुर पहुंची। यहां केदार फार्मा से संबंधित अमर पांडेय के घर पहुंची टीम ने पूछताछ की। केदार फार्मा पर भी प्राथमिकी दर्ज की गई है।
संकल्प सवेरा। कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह देशभर में बड़ा अभियान चलाया। लखनऊ, रांची, अहमदाबाद समेत 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई यूपी में पिछले दो महीनों से सामने आ रहे मल्टी-स्टेट कोडीन सिरप रैकेट के सिलसिले में की जा रही है।
लखनऊ में ED की टीम सुबह 6 बजे STF के बर्खास्त सिपाही Alok Pratap Singh की सुशांत गोल्फ सिटी स्थित आलीशान कोठी पर पहुँची। तलाशी के दौरान एजेंसी को संदिग्ध दस्तावेज, बैंक ट्रांजैक्शन फाइलें, डिजिटल डिवाइस और कथित हवाला एंट्रीज से जुड़े रिकॉर्ड मिले, जिन्हें कब्जे में लिया गया है। कोठी के बाहर अर्धसैनिक बल तैनात हैं और अंदर अफसर तलाशी जारी रखे हुए हैं।
सहारनपुर में आरोपी Vibhor Ranabऔर Vishal Rana के घरों पर भी छापेमारी की जा रही है। दोनों की गिरफ्तारी के बाद प्रदेशभर में तस्करी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी। राणा बंधु Abbott Private Limited नाम से फर्म चलाते थे।
वाराणसी में सिंडिकेट के किंगपिन Shubham Jaiswal और उसके सहयोगियों के घर ED की टीमें तलाशी कर रही हैं। शुभम दुबई में छिपा है और अवैध कारोबार के नेटवर्क में शामिल छह बड़े चेहरे तथा 68 अन्य पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। ED अब मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच कर रही है और करीब 50 आरोपियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
STF की गिरफ्त में आए आरोपी आलोक प्रताप सिंह ने पूछताछ में कबूल किया था कि कई राज्यों में फर्जी फर्में बनाकर कफ सिरप की कालाबाजारी की जा रही थी। कूटरचित बिलिंग, फर्जी ई-वे बिल और अवैध स्टॉक ट्रांसफर के जरिए फेन्सिडिल सिरप तस्करों तक पहुँचाई जाती थी।
कफ सिरप रैकेट की शुरुआत 18 अक्टूबर को सोनभद्र में दीपावली के दौरान हुई कार्रवाई से हुई, जब नमकीन से भरे ट्रक के बीच 1.19 लाख शीशियां छिपी मिलीं। इसके बाद गिरफ्तारी और पूछताछ का सिलसिला बढ़ता गया और नेटवर्क के गहरे तार रांची, गाजियाबाद, मेरठ, लखनऊ, वाराणसी, बहराइच, जौनपुर और बांग्लादेश तक जुड़े मिले।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, फेन्सिडिल सिरप से किसी की मौत का अब तक कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन इसका नशे के रूप में बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा था। कफ सिरप रैकेट का अनुमानित कारोबार 2,000 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है।
ED अब तक दर्ज 128 FIR, फार्मा फर्मों के रिकॉर्ड, बैंकिंग ट्रांजैक्शन और आरोपी कंपनियों के पूरे नेटवर्क की जांच में जुटी है। लखनऊ और प्रयागराज की टीमें इस केस को अब तक की सबसे बड़ी फार्मा-नारकोटिक्स फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन के रूप में आगे बढ़ा रही हैं।
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