• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Tamannaah Bhatia shines in celestial blue lehenga in new video, talks about her ‘sexy’ bridal look
Advertisement
  • Home
  • Desh-Videsh
  • Uttar Pradesh
  • Purvanchal News
  • Jaunpur
  • Varanasi
  • Tamannaah Bhatia shines in celestial blue lehenga in new video, talks about her ‘sexy’ bridal look
No Result
View All Result
  • Home
  • Desh-Videsh
  • Uttar Pradesh
  • Purvanchal News
  • Jaunpur
  • Varanasi
  • Tamannaah Bhatia shines in celestial blue lehenga in new video, talks about her ‘sexy’ bridal look
No Result
View All Result
Sankalp Savera Logo
No Result
View All Result
Home Desh-Videsh

गांधीजी_और_हम मैं उन्हीं के कथन के साथ यहीं विराम लेता हूं: अभिषेक भारत

Gandhiji_ and_ I take a break here with his statement: Abhishek India

Sankalp Savera by Sankalp Savera
January 30, 2025
in Desh-Videsh, Jaunpur, Life Style
0
गांधीजी_और_हम  मैं उन्हीं के कथन के साथ यहीं विराम लेता हूं: अभिषेक भारत
1.5k
VIEWS
Share on FacebookShare on TelegramShare on WhatsappShare on Twitter

गांधीजी_और_हम

मैं उन्हीं के कथन के साथ यहीं विराम लेता हूं: अभिषेक भारत

संकल्प सवेरा,जौनपुर। गांधीजी प्रकृति की मानवीय अभिव्यक्ति हैं। मूलतः वह प्रकृतिवादी हैं। गांधीजी लालच के विलोम हैं, जबकि सत्ता लालच का पर्याय है। गांधीजी हिंसा के विपरीत हैं, अहिंसा के पुजारी हैं, अहिंसा को पोषित किया, पल्लवित किया जबकि सत्ता हिंसा का निचोड़ है।

वर्तमान समय में जब हम प्रकृति का दोहन करते जा रहे हैं, हम तकनीक व मशीनों पर अपनी निर्भरता चढ़ाए जा रहे हैं, वैसे में हम गांधीवादी कैसे हो सकते हैं !

यह स्मरण रहे गांधी पर अच्छा लिखने वाला, अच्छा बोलने वाला गांधीवादी नहीं भी हो सकता है। गांधीजी पर अच्छा लिखना, अच्छा बोलना गांधीवादी बन जाना नहीं है, गांधी हो जाना नहीं है।

ऐसे में जब वर्तमान सत्तासीन, राजदंड को धारण किए हुए नेतागण जब खुद को गांधीवादी कहते हैं, कहते हैं कि वह गांधी के विचार को अपना रहे हैं, उन पर चल रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि यह केवल और केवल भटकाव है, एक ‘ट्रैप’ है। यह दोगली बात है।

मौजूदा समय में यदि आपको सत्तासीन होना है, आपको कुर्सी के लिए राजनीति करनी है, आपको कुर्सी प्राप्त करनी है तो गांधी विरोधी होना ही होगा और यदि आप कहते हैं, कि आप गांधी के पक्षधर हैं तो आप झूठ बोल रहे हैं, पाखंड कर रहे हैं। कोई भी व्यवस्था हो लोकतंत्र, साम्यवाद, तानाशाही, या लोकतंत्र के नाम पर मज़ाक, किसी भी व्यवस्था में गांधी के नाम पर सत्ता प्राप्त नहीं की जा सकती! और यह हर सत्ता की आकांक्षा रखने वाला भलीभांति जानता है। इसलिए वह चाह कर भी गांधीवादी नहीं हो सकता है, ना ही होना चाहेगा। गांधीजी जैसा हो जाए, फ़िर कुर्सी प्राप्त ही नहीं करना चाहेगा।

कारण स्पष्ट है, गांधी सत्ता के विपरीत हैं। या यूं कहें सत्ता गांधी के खिलाफ हैं। समूची राजनीतिक व्यवस्था गांधी के विपरीत है, गांधी की विरोधी है। सत्ता का मूल सिद्धांत है, शासन करना, वह चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी तरीके करना हो। और गांधीजी इसी से असहयोग करते हैं, सविनय अवज्ञा करते हैं ।

पग-पग पर गांधी का ख़िलाफत होता है । गाहे-बगाहे हम गांधी के विरोधी का लक्षण व्यक्त कर ही देते हैं । उनके जीवन काल में भी उन पर बम फेंके गए, गालियां दी गई फब्तियां कसी गई, काले झंडे दिखाए गए। मरने के बाद तो हो ही रहा है। उन्हें इस्लाम विरोधी, हिंदू विरोधी,दलित विरोधी, नस्लवादी, जाति समर्थक, भारत विरोधी, राष्ट्रवाद विरोधी, सावरकर के विपरीत, अंबेडकर के विपरीत और भी तरह के खांचों में बांट दिया गया।

अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए एक ही व्यक्ति को पकड़ लेते हैं। वह दुबला-पतला व्यक्ति जिसने जीवन भर कठोर शब्द और ऊंची आवाज में बात करना भी मुनासिब नहीं समझा, उसके जर्जर हो चुके, देह को तीन गोली मार के खत्म करने का बीज बोया गया।

यूं तो अक्सर देखने, सुनने पढ़ने को मिल ही जाता है। लोग-बाग गांधी जी को याद कर रहे हैं, उन पर लिख रहे हैं। याद करने वाले में वह भी शामिल हैं जो गाली दे रहे हैं, धिक्कार रहे हैं। कुछ उन्हें बढ़-चढ़कर पेश कर रहे हैं। कुछ मात्र कलाकृति मान बैठे हैं, कुछ मात्र हाड़ मानने वाले भी हैं। तो कुछ उन्हें केवल सहज जीवन-बीज सरीखा मानते हैं। कुछ तो कुछ भी नहीं मानते। भांति-भांति के लोग हैं, सो भांति-भांति का गांधी-जीवन है। किंतु इन सब में कुछ बातें मुझे असहज किये हुए हैं। सो उनपर लिखने से स्वयं को रोक नहीं पाया।

पहली तरह के लेख में यह बात स्पष्ट कही जा रही है कि “एक गांधी का विचार है और एक गोडसे का विचार है।” अर्थात परोक्ष रूप से यह कहा जा रहा है कि गोडसे गांधीजी के समान सिद्धहस्त था। मानो गोडसे अपने आप में एक वैचारिक विश्वविद्यालय हो, वहां प्रवेश लेना आवश्यक हो। स्पष्ट लकीर खींची जा रही है। एक तरफ़ गांधी दूसरी तरफ गोडसे!

और दूजे किस्म के आलेख में एक हठधर्मिता है। “गोडसे यदि गांधी को नहीं मारता तो गांधी आज इतने प्रसांगिक, और इतने महान नहीं होते!” “उन्हें कोई याद नहीं रखता।” मानो यह कहकर एहसान कर रहे हैं कि गोडसे ने गांधी जी को अमर कर दिया। जैसे गांधी का अपना कुछ था ही नहीं! अपनी कुंठा को इस तरीके से अभिव्यक्त करने वालों को फिर भी बापू क्षमा ही करेंगे, यह मेरा विश्वास है। किंतु मेरे हृदय में अभी इतना प्रेम नहीं कि मैं इन जैसे लोगों को क्षमा कर पाऊं। मैं स्वयं अपने आप को इन प्रकल्पों का भागीदार बना बैठा हूं!

एक सजीव जीवन अपने आसपास की अनुभूति से ही अपना संकेत सृजित करती है। मनुष्य अपनी रचित शब्दावली से अपने कथन को अभिव्यक्त करता है। अपने अंतर स्थली में उफनती कलाओं के गुबार को वह बाहर प्रदर्शित करने का पुरजोर प्रयत्न करता है। मनुष्य जाति ने एक सशक्त शस्त्र का निर्माण कर लिया है, वह है उसकी ‘भाषा’। जिससे वह अपनी आत्मा के अनुभवों को कल्पना मिला बाह्य जगत में उड़ेल लेता है। उसके समस्त कर्म एक ही गुठली में बैठकर धरती में जाने के लिए लक्षित हो जाते हैं। उसकी नियति महान वटवृक्ष बन मुक्ति देने की होती है।

गांधीजी वही बीज हैं। भूमि हमारा अंतःकरण है। यदि आप गांधीजी को केवल राजनैतिक नेता भर मानने के आतुर हैं, तो मैं आपसे करबद्ध निवेदन करूंगा कि आप उस मार्ग को और सुनम्यत व सहिष्णु बनाएं। अपने चिंतन के पटल को और विस्तार दें। पुनः गांधीजी पर चिंतन प्रारंभ करें। अतएव गांधी को नेता नहीं, व्यक्ति मानें, एकल व्यक्ति। उससे भी ऊपर अगर आपकी मन:स्थिति जा सकती है तो गांधीजी को जीवन मानकर समझने का प्रयत्न करें। ना केवल तब आप उनको समझ पायेंगे वरन् अपने अंदर एक महान परिवर्तन के अंकुरण को जीवंत अनुभूत कर सकने के लिए सज्ज हो पायेंगे। गांधीजी एक जीवंत मनुष्य की मुक्ति के प्रतिनिधि हैं। वह एक साधारण हाड़ मांस को मनुष्य की कल्पनाओं के शिखर तक पहुंचाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।

पिछले दिनों यूं ही मैं फेसबुक पर टहल रहा था। एक पोस्ट नज़र हुआ। उसमें लिखा था, “गांधीजी से कौन डरता है ?” तिसपर टिप्पणी की- “कमसकम गांधीजी से तो किसी को डरने की जरूरत नहीं। ईश्वर करे ऐसा समय (डर) ही ना आये कभी।”

जो समाज गांधीजी में पक्ष-विपक्ष निर्मित कर लेता है, उसके प्रदर्शन का मंच तैयार करता हो, उस समाज की भुजाएं भले ही बलिष्ठ हो, किंतु उसमें निहित हड्डियां पोपली व भंगुर ही होंगी!

गांधीजी ने ‘भारत-छोड़ो’ आंदोलन दिल्ली आकर प्रारंभ नहीं किया था। उसे सुदूर दिल्ली से बंबई में उद्घोष किया गया। जहां इस हाड़ के पिंड ने ‘करो या मरो’ की अलख जगाई। ध्यान रहे ‘मरो’ ना कि मारो। यह अहिंसा की पराकाष्ठा है। यह बलिदान का सबसे पवित्र पर्याय है। सनद रहे, यह पुष्टि करती है कि अहिंसा कायरों के कांधे पर नहीं बैठ सकती। एक निर्भीक जीवन ही मृत्यु का आलिंगन कर सकता है। वह तत्पर होता है, अपरिग्रह, त्याग, मृत्यु, शोक व मुक्ति हेतु।

लिखने को तो बहुत सारा है किंतु स्वयं बापू ने ही इतना उत्तम रच्य किया सो वही पाठ हो। जिसे उन्होंने १८ जून १९२१ के यंग इंडिया में लिखा है।

“जीवन की मेरी योजना में साम्राज्यवाद के लिए कोई स्थान नहीं है । वैयक्तिक आचरण और राजनीतिक आचरण में कोई विरोध नहीं है, सदाचार का नियम दोनों पर लागू होता है।

मेरे लिए देश प्रेम और मानव प्रेम में कोई भेद नहीं है, दोनों एक ही हैं । मैं देश प्रेमी हूं क्योंकि मैं मानव प्रेमी हूं, मेरा देश प्रेम वर्जनशील नहीं है। जिस तरह देश प्रेम का धर्म हमें आज यह सिखाता है कि व्यक्ति को परिवार के लिए, परिवार को ग्राम के लिए, ग्राम को जनपद के लिए, और जनपद को प्रदेश के लिए मरना सीखना चाहिए। इसी तरह किसी देश को स्वतंत्र इसलिए होना चाहिए कि वह आवश्यकता होने पर संसार के कल्याण के लिए अपना बलिदान दे सके। उसमें जातिद्वेष के लिए कोई स्थान नहीं है मेरी कामना है कि हमारा राष्ट्रीप्रेम ऐसा ही हो।”

गांधीजी को उनके सदेह रहते हुए भी विदेशियों से ज्यादा अपनों के हमले झेलने पड़े। काले झंडे दिखायें गये। कोई मुस्लमान का पैरोकार कह कर गरियाता है तो कोई वैष्णव कह संदेह करता। कोई दलित का मसिहा मानता पर दूसरा उसी पर ऐतराज हुल्लड़ कर बैठता।

गांधीजी को देश के टुकड़ों का भी जिम्मेदार कहने वाले हैं। मुस्लमान देश में रुके रहें, तो इसमें भी गाँधी का षणयंत्र ही नजर आता है। जिस देश में अधिकांश युवा गाँधीजी को गरियाने में खुद को प्रगतिशील उद्धघोष करते हैं। वहाँ नेता कैसे होंगे सहज समझा जा सकता है! आप लाख असहमति जता लें , किंतु आप बिना गाँधीजी को छुए इतिहास की यात्रा नहीं कर सकते हैं।

गांधीजी कहते हैं – “मृत्यु तथा दुख भोग कर भी दूसरे को सुख देना ही अहिंसा है।” वह आगे लिखते हैं-

“अहिंसा प्रचंड शस्त्र है उसमें परम पुरुषार्थ है, वह भीरु से दूर-दूर भागती है। वह वीर पुरुष की शोभा है, उसका सर्वस्व है। यह नीरस, जड़ पदार्थ नहीं है। यह चेतनमय है। यह आत्मा का विशेष गुण है। इसीलिए इसका वर्णन परम धर्म के रूप में किया गया है।”

— गांधीजी , नवजीवन , १३/९/१९२८

मैं उन्हीं के कथन के साथ यहीं विराम लेता हूं।

“पुष्प पंखुड़ी जिससे दुखे, जिनवर की है वहां मनाही।” – महात्मा गांधीजी

~ अभिषेक भारत

Previous Post

पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह आज रहेंगे सहोदरपुर जौनपुर में

Next Post

जौनपुर महाकुंभ से लौट रहे श्रद्धालुओं की कार रोडवेज से भिड़ी तीन श्रद्धालुओं की मौत

Sankalp Savera

Sankalp Savera

Next Post
जौनपुर महाकुंभ से लौट रहे श्रद्धालुओं की कार रोडवेज से भिड़ी तीन श्रद्धालुओं की मौत

जौनपुर महाकुंभ से लौट रहे श्रद्धालुओं की कार रोडवेज से भिड़ी तीन श्रद्धालुओं की मौत

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

October 6, 2025
गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

October 6, 2025
शिक्षक रहें आश्वस्त, नहीं होगा किसी के साथ अन्याय: सीमा द्विवेदी

शिक्षक रहें आश्वस्त, नहीं होगा किसी के साथ अन्याय: सीमा द्विवेदी

October 6, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र

October 5, 2025
  • Trending
  • Comments
  • Latest
जौनपुर भदेठी कांड : सपा नेता जावेद सिद्दीकी पर लगा गैंगस्टर

जावेद सिद्दीकी समेत पांच आरोपियों को मिली जमानत

June 20, 2020
पूर्व मंत्री व विधायक पारस नाथ यादव का निधन

पूर्व मंत्री व विधायक पारस नाथ यादव का निधन

June 12, 2020
बकरी के दूध, पपीते के पत्ते से नही बढ़ता है प्लेटलेट्स: डॉ0 विजय नाथ मिश्रा

बकरी के दूध, पपीते के पत्ते से नही बढ़ता है प्लेटलेट्स: डॉ0 विजय नाथ मिश्रा

November 13, 2022
क्या आपके पास है 10 रुपये का 786 नंबर वाला ये नोट? तो घर बैठे कमा सकते हैं 5 लाख रुपये- जानें कैसे

क्या आपके पास है 10 रुपये का 786 नंबर वाला ये नोट? तो घर बैठे कमा सकते हैं 5 लाख रुपये- जानें कैसे

3
पूर्वाचंल विश्वविद्यालय की परीक्षाएं दो अप्रैल तक स्थगित

पीयू से संबद्ध महाविद्यालयों के बीए अंतिम वर्ष का परिणाम घोषित

2
डॉ हरेंद्र सिंह MLA की तरफ से आप सभी को स्वतंत्रता दिवस व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें ।

डॉ हरेंद्र सिंह MLA की तरफ से आप सभी को स्वतंत्रता दिवस व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें ।

1
चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

October 6, 2025
गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

October 6, 2025
शिक्षक रहें आश्वस्त, नहीं होगा किसी के साथ अन्याय: सीमा द्विवेदी

शिक्षक रहें आश्वस्त, नहीं होगा किसी के साथ अन्याय: सीमा द्विवेदी

October 6, 2025
संकल्प सवेरा || Sankalp Savera

संकल्प सवेरा न्यूज पोर्टल अब आपके हाथो मे है। पहली बार इसे देखकर आप इसके सभी समाचार को देखना तथा पढना चाहते होंगे। जिसमे हम बाधक नही बनना चाहते। सिर्फ एक संदेश देना चाहते है कि संकल्प सवेरा न्यूज पोर्टल के हर लेख,आलेख,तथा समाचार मे अपनापन का अहसास होगा। इस भावना को जगाए रखने के लिए हम सदैव प्रयत्नशील रहेंगे।

Follow Us

Browse by Category

  • Corona Update
  • Desh-Videsh
  • Dharm
  • Jaunpur
  • kavita sangrah
  • Life Style
  • Purvanchal News
  • Recruitment
  • Uncategorized
  • Uttar Pradesh
  • Varanasi
  • Videos

Recent News

चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

चारों भाइयों का मिलन देख छलक पड़े आंसू

October 6, 2025
गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थकःराज्यपाल आनंदीबेन पटेल

October 6, 2025
  • Home
  • Desh-Videsh
  • Uttar Pradesh
  • Purvanchal News
  • Jaunpur
  • Varanasi
  • Tamannaah Bhatia shines in celestial blue lehenga in new video, talks about her ‘sexy’ bridal look

© 2020 Sankalp Savera - Hindi News Portal Designed by Digital Karigar.

No Result
View All Result
  • Home
  • Desh-Videsh
  • Uttar Pradesh
  • Purvanchal News
  • Jaunpur
  • Varanasi
  • Tamannaah Bhatia shines in celestial blue lehenga in new video, talks about her ‘sexy’ bridal look

© 2020 Sankalp Savera - Hindi News Portal Designed by Digital Karigar.