महाकुंभ 2015 में पहुंचे 129 साल के पद्मश्री शिवानंद बाबा
महाकुंंभ 2025 में एक से बढ़कर एक रहस्य हैं। इनमें से ही एक हैं पद्मश्री से सम्मानित शिवानंद बाबा। इनकी उम्र है 129 साल। इनकी फिटनेस और दिनचर्या देख आप
संकल्प सवेरा। महाकुंंभ 2025 में एक से बढ़कर एक रहस्य हैं। इनमें से ही एक हैं पद्मश्री से सम्मानित शिवानंद बाबा। इनकी उम्र है 129 साल। इनकी फिटनेस और दिनचर्या देख आप भी दंग रह जाएंगे। संकल्प सवेरा के साथ बातचीत में उन्होंने अपने बारे में तमाम चीजें बताईं। वहीं, बाबा शिवानंद की शिष्या डॉक्टर शर्मिला ने उनसे जुड़ीं कई जानकारियां हमारे साथ साझा कीं। बाबा ने यह भी बताया कि लोग आखिर इतनी कम उम्र में मौत का शिकार हो जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने लंबी उम्र के लिए टिप्स भी साझा किए।
खराब जिंदगी जीत रहे लोग
बातचीत के दौरान संकल्प सवेरा ने पद्मश्री स्वामी शिवानंद बाबा से कम उम्र में हो रही मौतों को लेकर सवाल पूछा। इसके जवाब में उन्होंने कहाकि आज लोग बहुत ही खराब जिंदगी जी रहे हैं। लोग सही ढंग से दिनचर्या का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा लोगों का खानपान भी बहुत ज्यादा दूषित हो गया है। उन्होंने कहाकि लोगों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी पीना चाहिए। नित्यकर्म आदि से निवृत्त होकर योग करना चाहिए। शिवानंद बाबा ने बताया कि इसके अलावा लोग हर छोटी-छोटी समस्या के लिए दवाएं लेने लगे हैं। इससे बचना चाहिए। एलोपैथिक दवाएं, एंटीबायोटिक्स हमारे शरीर को लंबे समय के लिए कमजोर बना देती हैं। इसके अलावा लोगों को फास्टफूड से बचना चाहिए। भूख ज्यादा खाना खाकर भी लोग बीमारी का शिकार बन रहे हैं।
बाबा शिवानंद का जन्म आठ अगस्त, 1896 में मौजूदा बांग्लादेश के श्रीहट्ट जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उनका परिवार भिक्षा मांगकर जीवन यापन करता था। बहुत कम उम्र में ही बाबा शिवानंद को उनके माता-पिता ने नवद्वीप निवासी एक वैष्णव संत स्वामी ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया था। यहां पर शिवानंद बाबा का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता था। कुछ वक्त अपने गुरु की आज्ञा से शिवानंद बाबा अपने माता-पिता से मिलने पहुंचे। यहां पर उन्हें पता चला कि उनकी बड़ी बहन की मौत हो चुकी है। इसके कुछ ही दिन के बाद उनकी मां और पिता भी चल बसे। इसके बाद वह अपने गुरु आश्रम में लौट आए।
कैसी रहती है दिनचर्या
बाबा शिवानंद की दिनचर्या भोर में तीन बजे से शुरू हो जाती है। चाहे कोई मौसम हो, नित्यकर्म से निपटने के बाद वह ठंडे पानी से ही स्नान करते हैं। योग, पूजा और भजन करते हैं। उनका भोजन बहुत ही सात्विक और सीमित है। वह दूध और फल भी नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि देश के गरीबों को यह सब मिल नहीं पाता है। ऐसे में वह इसे कैसे ग्रहण कर सकते हैं। यह शिवानंद बाबा संकल्पों का ही फल है कि कड़कड़ाती ठंड में भी वह स्वेटर या मोजा कुछ नहीं पहनते हैं। उन्होंने सिर्फ दो जोड़ी सूती कपड़े बनवाएं हैं, उसी से उनका काम चल जाता है।