जौ जनतेउ बन बन्धु बिछोहू : राम का विलाप सुन शोक में डूबे दर्शक
,संकल्प सवेरा।जौनपुर / आदर्श रामलीला समिति जमालपुर-मदारपुर द्वारा लक्ष्मण शक्ति प्रसँग का सजीव मंचन किया गया। मेघनाद से युद्ध करते हुए लक्ष्मण अद्भुत रण कौशल का प्रदर्शन कर रहे थे। मेघनाद को लगा कि लक्ष्मण को पराजित कर पाना असंभव है तो उसने ब्रह्मा जी द्वारा प्राप्त ब्रहमास्त्र चला दिया। तीर लगते ही लक्ष्मण बेसुध हो धरती पर गिर पड़े। राम की सेना में शोक व्याप्त हो गया। लक्ष्मण के शरीर को गोद में रखकर भगवान राम विलाप करने लगे। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें ज्ञात होता कि वन में जाने पर भाई लक्ष्मण के विछोह का दुःख सहना पड़ेगा तो पिता की आज्ञा का पालन नहीं करते। वन में न आते ।
उन्होंने- “तात को सोच न मात को , न सोच पिता सुरधाम गये की। राज को सोच न पाठ की सोच न सोच हमें वनबास भये की। सीय हरे की सोच नहीं, सोच न रावन रार भये की। सोच तो सोच यही मन में बस एक विभीषण बाँह गहे की।” कहते हुए रोने लगे तो दर्शकगण भी शोक सागर मे डूब गये । इसके पश्चात सुषेन वैद्य के कहने पर हनुमान संजीवनी बूटी ले आये। वैद्यराज ने बूटी पीसकर पिलाये तो लक्ष्मण उठकर बैठ गये। दर्शक उत्साहित होकर जयश्री राम के नारे लगाने लगे।
देर रात तक दर्शक अंगद- रावण संवाद, कुम्भकर्ण-वध, मेघनाद-वध देख रोमांचित होते रहे। रावण बने लालजी यादव, अंगद बने राजेश, कुम्भकर्ण बने बृजेश, लक्ष्मण बने आशुतोष यादव तथा मेघनाद की भूमिका निभा रहे वीरेन्द्र यादव का अभिनय सराहनीय रहा। अन्त में डॉ० रामकृष्ण यादव ने आगन्तुकों के प्रति आभार समर्पित किया।