कृपाशंकर सिंह को जौनपुर में बधाई देने वालो का लगा ताता
केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर कांग्रेस का रुख से असहमत होने के बाद कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए पार्टी के प्रति उनकी ईमानदारी व लोकप्रियता को देखते हुई भाजपा ने उन्हें उनके जन्म क्षेत्र से उनको प्रत्याशी बनाया
भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने पर कृपाशंकर सिंह को बधाई दने वालो में भाजपा प्रवक्ता ओमप्रकाश सिंह,शशि मोहन सिंह,रामदयाल दृवेदी, राजेश उपाध्याय, राजीव पाठक, लोलरक दुबे,डॉ सिद्धार्थ सिंह,रविन्द्र प्रताप सिंह,रत्नाकर सिंह,शशि सिंह,देवी सिंह,अजीत सिंह,प्रदीप सिंह,राजेंद्र मौर्य
जौनपुर, संकल्प सवेरा। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के लिए लोकसभा चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है. यूपी ने 51 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. इनमें से कई सीटों पर प्रत्याशियों को रिपीट भी किया गया है. वहीं, जौनपुर सीट से महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है. कृपाशंकर सिंह ने 2021 में बीजेपी ज्वाइन की थी. इसके पहले वह कांग्रेस में थे. वह मूल रूप से जौनपुर से ताल्लुक रखते हैं और राजपूत समाज से आते हैं।
कृपाशंकर सिंह ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को लेकर एनडीए की नीति का विरोध करने पर कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था. वह 2004 में महाराष्ट्र में मंत्री बनाए गए थे उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. वह मुंबई के सांताक्रुज क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2008 से 2012 के बीच वह मुंबई कांग्रेस के चीफ रह चुके हैं. कांग्रेस छोड़ने के दो साल बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. बीजेपी ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी दी थी. बीजेपी ने उन्हें गुजरात के 10 जिलों का प्रभारी बनाया गया था. इसके अलावा बीजेपी ने महाराष्ट्र में पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया था।
कृपाशंकर सिंह को जानिए
साल 1971 में कृपाशंकर सिंह जौनपुर से मुंबई आ गए थे. वह और उनके भाई नौकरीपेशा थे। 70 के दशक के हिसाब से उनकी पर्याप्त आय थी. साथ ही उनके परिवार की एक किराने की भी दुकान हुआ करती थी। रोजमर्रा की जिंदगी के जरूरी कामों के बीच कृपाशंकर सिंह अपने इलाके के लोगों की समस्याएं भी उठाते थे। वो मुंबई आकर बसने वाले उत्तर भारतीयों की दिक्कतों के समाधान की कोशिश करते थे। नतीजतन धीरे-धीरे हिंदी भाषी लोगों में उनकी पहचान बनने लगी और वो लोकप्रिय होने लगे. उनकी विनम्रता और सहजता लोगों को आकर्षित करती रही।
इंदिरा ने दिया राजनीति में आने का न्योता
कहते हैं कि कृपाशंकर सिंह की जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी से हुई। एक जन कार्यक्रम के दौरान इंदिरा ने जनसेवा की उनकी भावना को देखते हुए राजनीति में आने का न्योता दिया, जिसके बाद कृपाशंकर सिंह कांग्रेस सेवादल में शामिल हो गए। कांग्रेस में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने लंबा समय बिताया।
प्रतिभा पाटिल ने दिया मौका
साल 1988 में उन्हें प्रतिभा पाटिल ने मुंबई कांग्रेस का सचिव बनाया. 1994 में वो एमएलसी बने। 1999 में सांताक्रूज से विधायक बने और फिर विलासराव देशमुख सरकार में गृह मंत्री बने। साल 2007 और साल 2011 में वो मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष बने। हालांकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में मिली हार से उनका सफर थम गया। विधानसभा चुनाव में हार के बाद वो कांग्रेस में किनारे कर दिए गए थे तीन बार मुंबई में विधायक रह चुके पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का भी आरोप लगा और 2018 में उनको कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई।
हर पार्टी में हैं उनके दोस्त मित्र’
कृपाशंकर सिंह के सियासी कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना किसी पदभार के भी, उनके घर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस का आना-जाना रहा. कृपाशंकर सिंह जहां एक तरफ ठेठ यूपी के अंदाज में उत्तर भारतीयों से मिलते-जुलते हैं, वहीं दूसरी ओर वो फर्राटेदार मराठी भी बोलते हैं। मुंबई में उत्तर भारतीयों को कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता था और जौनपुर का हवाला देते हुए कृपाशंकर सिंह उसी वोटबैंक में कांग्रेस का स्तंभ हुआ करते थे।
केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर कांग्रेस का रुख से असहमत होने के बाद कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी, और अब बाकायदा बीजेपी में शामिल हो गए हैं।