विपक्षी नेता भी लगा रहे रामदरबार में हाजिरी: शशिमोहन सिंह क्षेम
सर्वोच्च न्यायालय में कांग्रेस सरकार ने नकारा था राम का अस्तित्व
गत 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे भाग लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता को जो संदेश दिया उसका व्यापक प्रभाव देश की जनता ही नहीं विदेश के लोगों पर पड़ा। अनेक देशों के लोगों ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शनपूजन में भाग लिया। अयोध्या में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। विपक्षी दलों के कई बड़े नेताअेां को भी मंदिर समिति की ओर से निमंत्रण भेजा गया परंतु उन्हे भय सता रहा था कि वहां जाने पर उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जायेगी। उन्हे मुस्लिम समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। विपक्षियों के समझ सांप छंछूदर वाली स्थित उत्पन्न हो गयी। वे खुलकर राम मंदिर का विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। वास्तव में राम मंदिर का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी ने ही जोरदार ढंग से उठाया था। विपक्षी बराबर भाजपा पर कटाक्ष करते रहे कि भाजपा वाले कहते हैं कि रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे परंतु तारीख नहीं बतायेंगे। तब मंदिर बन गया तो विपक्षियों की बोलती बंद हो गयी। कांग्रेस की सरकार ने भगवान राम के अस्तित्व पर हीसवाल उठाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर का अस्तित्व स्वीकार करते हुए मंदिर को भूमि दिया। वस्तुतः कांग्रेस ने एक समुदाय विशेष के लोगों के तुष्टिकरण के लिये शीर्ष न्यायालय में झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया था।राम की अस्मिता पर सवाल खड़े करने वाले अब कौन सा मुंह लेकर अयोध्या जायेंगे। उनके सामने यह संकट है। उनके ही दल के लोग शीर्ष नेतृत्व से असंतुष्ट है। समय समय पर कांग्रेस की राम विरोधी नीतियों की आलोचना करने वाले पार्टी के एक बड़े नेता आचार्य प्रमोद पार्टी से बाहर कर दिया। आज की तारीख में राम लहर का प्रभाव देखकर भाजपा को साम्प्रदायिक कहने वाले विपक्ष के लोग भी राम दरबार में मत्था टेकने के लिये जा रहे हैं। राम विरोधी रवैये के करण समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद के वक्तव्यों को लेकर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वयं को कृष्ण का बंशज कहा तो मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ ने उनपर पलटवार किया। दूसरे दलों के नेता धीरे-धीरे अयोध्या की ओर रूख करने लगे हैं। जनसत्ता दल के नेता राजा भईया ने रामलला के दर्शन किये तो वहीं बसपा विधायक उमाशंकर सिंह, विधायक मोना तिवारी ने भी रामलला के दरबार में हाजिरी लगायी। आप के नेता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत मान भी अयोध्या जाकर दर्शन किये। इस प्रकार मोदी के विरोध में बना महागठबंधन अपने अस्तित्व के लिये जूझ रहा है।