नर्मदापुरम जेल में बंद रहे है दादी-बाबा, आज उनसे प्रेरित युवा शुभम नशे के खिलाफ चला रहे हैं अभियान
संकल्प सवेरा। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई हुतात्माओं ने बलिदान की, वह जवानी भर जेलों में बंद रहे और उनके तप के कारण आज हम आजादी के अमृत काल में सांस ले रहे हैं। आजादी के अमृत काल में ऐसी एक कहानी प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है, जहां नर्मदापुरम जेल में भारत छोड़ो आंदोलन के समय बंद हुए स्वर्गीय छोटेलाल शर्मा और उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय मंगो देवी शर्मा से प्रेरित उनका पोता शुभम शर्मा नशे के खिलाफ विशेष पहल चला रहा है। शुभम अभी भोपाल में रहते हैं, लेकिन वह समाजसेवा के उत्कृष्ट कार्यों में लग गए हैं.
वे भोपाल में नशा मुक्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि समाज व युवा नशे जैसी बुरी आदतों से मुक्त हों. शुभम बचपन से ही समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के शुरूआती संस्करण में युवाओं को नशे से दूर रहने की बात की थी तभी से शुभम के अंदर इस क्षेत्र में काम करने की इच्छा जगी थी, इसका श्रेय वह अपनी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दादा-दादी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं।
चला रहे नशामुक्ति का सतत अभियान
शुभम ने अपने कॉलेज के दिनों से नशे के खिलाफ अलख जगाना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्होंने शहर फिर प्रदेश के स्कूल-कॉलेजों में जाकर नशे के खिलाफ जगारुकता फैलाना शुरू कर दिया। इस समय उनके साथ 50 लोगों की टीम है, जो नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम करती है.
शुभम पिछले 9 वर्षों से नशे के खिलाफ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं. इसके साथ ही इसके माध्यम से जन जागरूकता का प्रचार-प्रसार भी करते रहते हैं. उन्होंने नशे के खिलाफ जागरूकता के लिए मादक पदार्थों की शवयात्रा भी निकाली थी, जिसकी काफी सराहना हुई थी। नशे से आजादी अभियान में नर्मदा महाविद्यालय, सैम कॉलेज भोपाल, विक्रमादित्य कॉलेज समेत कई स्थानों पर जनजागरण के कार्यक्रमों में युवाओं को जागरूक करने जाते रहते हैं।
उन्होंने सामाजिक न्याय विभाग द्वारा बनाई नशामुक्ति की फिल्म का थियेटरों में प्रसारण करवाया था, ताकि लोग नशे के खिलाफ जागरूक हो सके। शुभम बताते हैं कि उनका लक्ष्य है कि वे हर साल कम से कम 12 लोगों को नशे से दूर कर सके, ताकि लोग नशे की इस बुरी लत से हमेशा-हमेशा के लिए आजाद हो सकें।