अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने वाला प्रस्ताव आज लोकसभा में पेश होगा. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत इसलिए सरकार को कोई परेशानी नहीं है. जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 से आजादी देने वाला प्रस्ताव कल राज्यसभा से पास हुआ था. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर और देश के बाकी राज्यों में फर्क खत्म हो गया.
नई दिल्ली: राज्यसभा के बाद अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने वाला प्रस्ताव आज लोकसभा में पेश हो सकता है. लोकसभा से पास होते ही कश्मीर भी भारत के दूसरे राज्यों की तरह बन जाएगा. नंबर के आधार पर लगता नहीं कि लोकसभा में सरकार को कोई परेशानी होने वाली है. एनडीए अपने दम पर बिल को आसानी से पास करा सकती है. लोकसभा से पारित होने के बाद औपचारिक तौर पर जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म हो जाएगी और जम्मू कश्मीर असल मायने में भारत का अभिन्न अंग बन जाएगा. लोकसभा से पारित होने के बाद औपचारिक तौर पर जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म हो जाएगी. कुल मिलाकर लोकसभा में आज दो प्रस्ताव और दो बिलों पर चर्चा होगी, पहला बिल जम्मू कश्मीर में आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण जबकि दूसरा बिल जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटने वाला बिल है. इससे पहले सोमवार को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठित करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई. उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित कर दिया. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 पर्सेंट आरक्षण वाला विधेयक भी पास हो गया है. सुबह 11 बजे ही लोकसभा में कश्मीर से जुड़े प्रस्तावों और बिलों पर चर्चा शुरू हो जाएगी. सोमवार को सुबह 11 के करीब गृह मंत्री अमित शाह ने बिल को राज्यसभा में पेश किया और शाम को वोटिंग में बिल पास हो गया. बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 35 (A) भी समाप्त हो गया. इस तरह से कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर को लेकर जो चर्चाएं और अटकलें लगाई जा रही थीं उसपर पूरी तरह से विराम लग गया. अब जम्मू-कश्मीर दो राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंट जाएगा. ये दोनों केंद्र शासित राज्य होंगे. यानी अब केंद्र शासित राज्यों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गई. राज्यसभा में बिल पेश होने के बाद वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 125 वोट तो विपक्ष में सिर्फ 61 वोट पड़े. कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, आरजेडी, डीएमके, जेडीयू, मुस्लिम लीग और तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई-सीपीएम जैसी विपक्षी पार्टियों ने बिल का का विरोध किया. यावती की बीएसपी ने अपना समर्थन दिया. इसके साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका समर्थन किया. वहीं एआईएडीएमके, वायएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी और दूसरी सहयोगी पार्टियां सरकार के साथ में खड़े नजर आए.
सरकार के फैसले के बाद अब क्या होगा?
पहले जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था लेकिन अब ये खत्म हो गया है. यानी देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है. जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थाई नागरिकों को था, अब दूसरे राज्य के लोग यहां वोट कर सकेंगे. चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकते हैं. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है. स्कॉलरशिप हासिल कर सकता है. दूसरे राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में बिजनेस कर सकेंगे. राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी, लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा.