आगरा में एक गांव ऐसा भी है जहां बच्चे जहरीली सांपों के साथ खिलौनों की तरह खेलते हैं। सांप यहां इंसानों के बीच इस तरह से रहते हैं जैसे वो इनके ही परिवार का हिस्सा हों।
आगरा के शमसाबाद ब्लॉक का गांव सोरन का पुरा अपने आप में एक बड़ी खूबी रखता है। यहां के लोगों और सांपों का बाप और बेटे का रिश्ता है। इस गांव के बच्चों के लिए जहरीले सांप किसी खिलौने से ज्यादा नहीं हैं क्योंकि बच्चे यहां खिलौनों से नहीं बल्कि सांपों से खेलते हैं। खास बात ये है कि ये सांप भी यहां इंसानों के बीच इस तरह से रहते हैं जैसे वो इनके ही परिवार का हिस्सा हों।
आगरा मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर गांव सोरन का पूरा अपने आप में खास है। इस गांव के हर घर में सांप घूमते हुए मिल जाएंगे। सांप यहां घरों में इस तरह से रहते हैं जैसे किसी ग्रामीण ने अपने घरों में गाय और भैंस जैसे पालतू जानवर पाल रखे हों। दरसअल, सोरन का पुरा गांव में सपेरे रहते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी इस गांव के लोग सांपों का करतब दिखाकर अपनी रोजी रोटी का इंतजाम करते रहे हैं। गांव में जहरीले सांपों को देखकर अच्छे खासे हिम्मत वाले शख्स की हवा टाइट हो जाये, लेकिन इस गांव के बच्चों के लिये ये जहरीले सांप किसी खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले से सटे इस गांव के बुज़ुर्ग सोरन नाथ कहते हैं कि हमारे लिए सांपों से रिश्ता बाप-बेटे का रिश्ता है। इन्हीं की वजह से हमारा पेट भरता है लेकिन सांपो के करतब दिखाकर केवल पेट की आग ही बुझ पाती है। इससे ज्यादा हम हर सुख सुविधा के लिए पूरी तरह महरूम हैं। गांव में रहने वाले पप्पू सपेरा का कहना है कि हम लोग पढ़े लिखे नहीं हैं और न ही हमारे पास खेती है इसलिए सांपों का खेल करतब दिखाकर दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। अलग अलग प्रजाति के जहरीले सांपों के साथ रहना हमारे लिए सामान्य बात है। खास बात ये है कि इस गांव के सपरे बीन के साथ मृदंग और अन्य वाद्य यंत्रों को खुद तैयार करते हैं। ये सपेरे गांव-गांव जाकर सांपों का करतब दिखाते हैं जिससे इनके घर का खर्च चलता है।