पोषण पुनर्वास केंद्र सुधार रहा बच्चों की सेहत
कामयाबी
-पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने से अति गंभीर कुपोषित बच्चों का बढ़ा वजन
-आईसीडीएस जनपद में 6,500 बच्चे सैम चिह्नित कर उनके स्वास्थ्य की कर रहा देखभाल

जौनपुर, संकल्प सवेरा। केस -1 शहरी क्षेत्र के चांदपुर वार्ड अंतर्गत मुस्तफाबाद गांव के राजू दलित परिवार से हैं और मजदूरी करते हैं। उनके बड़े भाई का बेटा आयुष (एक वर्ष आठ माह) चल नहीं पाता था। जो कुछ खाता था शरीर में लगता नहीं था। सितम्बर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रानी मिश्रा ने अति गंभीर कुपोषित (सैम) श्रेणी में चिह्नित कर पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया। उस समय उसका वजन 6.300 किलोग्राम था। 14 दिन वहां पर इलाज़ चला। एनआरसी में देखभाल होने पर उसका वजन बढ़कर 6.700 हो गया। उसके बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उसके परिजनों को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देती रहीं। इस समय बच्चा सात किलोग्राम हो गया है और पूरी तरह स्वस्थ है ।
आयुष की बड़ी मां मनोरमा देवी कहती हैं कि एनआरसी में इलाज तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की देखभाल के चलते तीन माह में उसका स्वास्थ्य सही हो गया है। अब वह खड़ा भी होने लगा है और धीरे-धीरे चलने की कोशिश भी कर रहा है।
केस -2 सिरकोनी ब्लाक के नेवादा गांव के विजय सिंह चालक हैं। उनकी बेटी सृष्टि (दो वर्ष) बहुत कमजोर थी। जो कुछ खाती-पीती थी उल्टी कर देती थी। अप्रैल’22 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता यादव ने उसे अति गंभीर कुपोषित (सैम) के रूप में चिह्नित कर एनआरसी में भर्ती कराया। उस समय सृष्टि का वजन 6.50 किलोग्राम था। वह 14 दिन एनआरसी में रही। एनआरसी में हर दिन उसके खान-पान का खूब ध्यान रखा गया एनआरसी आने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की देखभाल के चलते इस समय उसका वजन आठ किलोग्राम हो गया है। उसके वजन में 1.50 किलोग्राम की वृद्धि हुई है।
सृष्टि की मां प्रियंका बताती हैं कि एनआरसी में दिखाने के बाद वह खाने-पीने लगी है। अब खेलने में भी उसका मन लगता है।
यह दोनों बच्चे अति गंभीर कुपोषित श्रेणी में थे जिन्हें एनआरसी में एक सप्ताह से 14 दिन तक निगरानी में रखा गया । जहां उनकी कुपोषण की स्थिति के अनुसार डाइट चार्ट तैयार कर भोजन दिया गया। दोनों बच्चों का वजन बढ़ा और वह सैम से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डॉ आरबी सिंह बताते हैं कि बाल विकास एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग ने अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर में चले संभव अभियान के दौरान जनपद में लगभग 6,500 बच्चे अति गंभीर कुपोषित (सैम) चिह्नित किए। उन्हें ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर मल्टी विटामिन, आयरन सीरप दिया जा रहा है। जरूरत के अनुसार पेट के कीड़े मारने की दवा दी गई।
एनआरसी प्रभारी डॉ राम नगीना कहते हैं कि एनआरसी में आने पर बच्चे उसकी मां को समय-समय पर खाना दिया जाता है।
कुपोषण की स्थिति के अनुसार डाइट चार्ट तैयार कर उसे पोषक भोजन दिया जाता है। साथ आने वाली मां/अभिभावक को 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अलग से खाने के लिए मिलता है। बच्चे की जांच और दवा सब मुफ्त रहती है। जो दवा अस्पताल में रहती है, दे दी जाती है। यदि कोई दवा नहीं रहती है तो खरीद कर दी जाती है। अस्पताल आने-जाने में भी मरीज का कुछ खर्च नहीं होता है। राष्ट्रीय बाल स्ववस्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के लोग, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम उसे लेकर आते हैं और ले जाते हैं। पीड़ित परिवार का पैसा खर्च नहीं होता है।
क्या है प्रक्रिया: सीडीपीओ मनोज कुमार वर्मा कहते हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने -अपने क्षेत्र में बच्चों के वजन और हाइट के आधार पर सैम बच्चे के रूप में चिह्नांकन करती हैं। वीएचएसएनडी सत्र में उसे एएनएम को दिखाती हैं। जरूरी समझने पर एएनएम उसे एनआरसी संदर्भित कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आरबीएसके टीम के सहयोग से उसे एनआरसी में भर्ती कराती हैं।
277 बच्चे स्वस्थ: एनआरसी की स्टाफ नर्स मंजू राय बताती हैं कि 23 जून 2020 को खुलने के बाद से लेकर 19 नवम्बर 2021 तक 180 बच्चे तथा 20 नवम्बर 2021 से 29 नवम्बर 2022 तक 97 सैम बच्चे ठीक किए जा चुके हैं। वह कहती हैं कि हम लोग बच्चों की देखभाल के समय पूरा एहतियात बरतते हैं।
ग्लब्स, मास्क, कैप, एप्रेन पहनकर काम करते है। पूरे वार्ड को सेनेटाइज किया जाता है जो भी साथ में आने वाले होते है, उन्हें तथा स्वयं भी बार-बार साबुन से हाथ धोते है और धुलवाते है।












