सामुदायिक बैठक कर इंकार करने वालों को किया तैयार
-धर्म गुरुओं का मिला सहयोग तो मासिक लक्ष्य का 95 प्रतिशत और गर्भवती का 98 प्रतिशत हुआ टीककारण
-यूनीसेफ और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से मिली कामयाबी, जनप्रतिनिधियों का भी साथ
जौनपुर,संकल्प सवेरा। गलतफहमी के चलते टीकाकरण का विरोध करने वालों को स्वास्थ्य विभाग और यूनीसेफ ने फायदे गिनाए। संभ्रांत लोगों को इकट्ठा कर उनके हर प्रश्न का जवाब दिया। आमलोगों ने भी टीकाकरण के पक्ष में आवाज उठाई। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जिम्मेदारी ली तो तत्काल 70 प्रतिशत परिणाम निकल आया।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ नरेन्द्र सिंह ने बताया कि सोंधी ब्लाक के लपरी गांव में गुरुवार को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत प्राथमिक विद्यालय में सामुदायिक बैठक हुई। इसमें नियमित टीकाकरण में सहयोग न करने वाले वैक्सीन एवॉइडेंस बिहैवियर (वैब) परिवारों के बच्चों का टीकाकरण कराने का प्रयास किया गया। बैठक में संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकोष (यूनीसेफ) की जिला मोबलाइजेशन समन्वयक (डीएमसी) गुरदीप कौर, बीएमसी अवधेश कुमार तिवारी ने बताया कि यह टीकाकरण क्षयरोग, हेपेटाइटिस-बी, पोलियो, कालीखांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, इन्फ़्लुएन्ज़ा टाइप-बी (हिब इंफेक्शन), निमोनिया, दस्त, खसरा, रुबेला और दिमागी बुखार जैसी 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है। टीकाकरण न कराने पर बच्चे इन बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। यूनीसेफ टीम ने टीकाकरण न कराने वाले परिवारों के नाम लिए और उनसे टीकाकरण में सहयोग मांगा। इस पर एक ने कहा कि उनके बच्चे की बांह पर टीका लगा था जो टीका पक गया था। दूसरे ने जांघ पर लगे टीके के पक जाने से टीकाकरण का विरोध किया। एक ने बताया कि उनके बच्चे को टीका लगने के बाद बुखार आ गया और सूजन हो गई। बच्चा दो दिन बहुत परेशान रहा जबकि एक ने अपने धर्म में बीमारी से बचाव के लिए टीका लगवाना जरूरी नहीं बताया। उन्होंने इन स्थितियों के चलते टीकाकरण का विरोध किया।
इस गलतफहमी दूर करने के लिए गुरदीप कौर ने बताया कि टीका लगने के बाद बुखार होना, सूजन आना स्वाभाविक है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह अपने आप सही हो जाता है। एक धार्मिक नेता ने कहा कि ऐसी बातें शिक्षा की कमी की वजह से कही जाती हैं। धार्मिक पुस्तकों में कहीं भी ऐसा नहीं कहा गया है। उनमें भी स्वास्थ्य को बहुत महत्व दिया गया है। हमारी धार्मिक संस्थाएं भी स्वास्थ्य संदेश दे रहीं हैं। इसलिए टीकाकरण कराकर बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से मुक्ति दिलाएं और खुशहाल भारत बनाने में अपना योगदान दें।
इस दौरान वर्तमान और पूर्व प्रधान, पंचायत सहायक, स्वयं सहायता समूह के लोग, डॉक्टर, इमाम, मौलवी, सहायक अध्यापक, एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि ने भी अपने-अपने स्तर से उनकी गलतफहमी दूर करने में मदद की। पूर्व प्रधान प्रेमचंद्र यादव ने मुसहर बस्ती में टीकाकरण कराने के लिए तैयार करवाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। इस पर बीएमसी अवधेश तिवारी ने प्रभारी चिकित्साधिकारी (एमओआईसी) डॉ रमेश चंद्रा से फोन कर मुसहर बस्ती में विशेष टीकाकरण सत्र लगवाने का अनुरोध किया। डॉ चंद्रा ने प्रतिरक्षण अधिकारी (आईओ) राहुल कुमार यादव को तत्काल गांव में विशेष टीकाकरण सत्र के लिए निर्देशित किया।
मुसहर बस्ती में दो वर्ष तक के कुल 10 बच्चे थे जिसमें से ज्यादातर एक वर्ष से कम उम्र के थे जिन्हें टीका नहीं लगा था। पूर्व प्रधान प्रेमचंद्र और डीएमसी गुरदीप कौर के ब्रेनवाश करने से अभिभावक तैयार हो गए और सात बच्चों को टीका लग गया। इनमें से चार को बीसीजी, पोलियो-1, पेंटा-1, रोटा-1, न्यूमोनिया (पीसीवी-1) का टीका लगा। तीन बच्चों को मिजिल्स रुबेला (एमआर), जापानी इंसेफेलाइटिस (जेईई), गलाघोंटू, कालीखांसी, टिटनेस (डीपीटी) की पहली डोज लगी।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ नरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिले में ग्रामीण स्तर पर हर साल कुल 49,824 टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं। इसमें 4,152 सत्र हर महीने लगते हैं। मासिक लक्ष्य में अब तक 95 प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। वहीं गर्भवती का टीकाकरण लक्ष्य के सापेक्ष 98 प्रतिशत हो चुका है। उन्होंने बताया कि जिले में एक वर्ष तक के 1,14,160 बच्चे और 1,34,899 गर्भवती हैं। पांच वर्ष तक के 5.50 लाख बच्चे हैं। इनका नियमित टीकाकरण सप्ताह में दो दिन हर बुधवार और शनिवार को होता है। इस दौरान माइक्रोप्लान के अनुसार ग्रामीण स्तर पर टीकाकरण सत्र का आयोजन कर एएनएम करती है। ग्रामीण सत्र स्थलों पर गर्भवती व बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। जिले में रिक्त उपकेंद्रों (सब सेंटर) के क्षेत्र में सप्ताह में दो दिन मंगलवार और गुरुवार को माइक्रो प्लान के अनुसार टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं।