संकल्प सवेरा जौनपुर “योग असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार कर हमारी व्यवहार कुशलता व कार्य क्षमता को बढ़ाता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘योगः कर्मसु कौशलम्’।” उक्त उद्गार टी.डी.पी.जी. कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शरीर, आत्मा और मस्तिष्क का सार्वभौमिक चेतना से जुड़ना ही योग है और इसी में संपूर्ण मानवता की सुरक्षा निहित है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बी.एड. विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार सिंह ने कहा कि योग करने का नहीं बल्कि जीने का नाम है। हमारे ऋषियों ने जीवन को धैर्य और संयम युक्त बनाने के लिए योग को प्रमुख माध्यम बनाया था। आज इसी की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सेवा योजना के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी प्रो. मनोज कुमार सिंह ने कहा कि हमारे ऋषियों ने योग को ‘समत्वम् योग उच्यते’ अर्थात सुख और दुख, सम और विषम, दोनों परिस्थितियों में समान रहने के रूप में परिभाषित किया है।
कार्यक्रम में हिंदी विभाग के डॉ. महेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि योग ना हमें केवल योगी बनाता है बल्कि हमें उपयोगी,उद्योगी और सहयोगी भी बनाता है। मानवता की रक्षा के लिए इन्हीं तीन दिव्य सूत्रों की आवश्यकता है। कार्यक्रम में बोलते हुए एनसीसी के अधिकारी डॉ. जितेश कुमार सिंह ने कहा कि योग में शारीरिक मानसिक वैचारिक आदि सभी समस्याओं का समाधान निहित है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं एनसीसी के छात्रों ने प्रतिभाग किया।