ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वास
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
संकल्प सवेरा जौनपुर: “किसी काल्पनिक बात पर तब तक विश्वास नहीं होता जब तक हम साक्षात वह चीज नहीं देखते: उसी तरह से प्रभु- परमात्मा ईश्वर पर भी हमारा विश्वास तभी परिपक्व हो सकता है जब ब्रहम ज्ञान द्वारा उसे जाना जाता है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखते हुए जब मनुष्य अपनी जीवन यात्रा भक्ति भाव से युक्त होकर व्यतीत करता है तो वह आनंद दायक बन जाती है।”
यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 74 वें वार्षिक निरंकारी संत समागम समारोह में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा। संत समागम का सीधा प्रसारण मिशन की वेबसाइट तथा साधना टीवी चैनल द्वारा हो रहा है इसका लाभ पूरे विश्व में श्रद्धालु भक्तों एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों द्वारा लिया जा रहा है।
सतगुरु माता जी ने प्रतिपादन किया कि एक तरफ विश्वास है तो दूसरी तरफ अंधविश्वास की बात भी सामने आती है अंधविश्वास से भ्रम भ्रांतियां उत्पन्न होती है डर पैदा होता है और मन में अहंकार भी प्रवेश करता है जिससे मन में बुरे ख्याल आते हैं और कलह – क्लेशषों का सामना करना पड़ता है ब्रह्मांड की हर एक वस्तु विश्वास पर ही टिकी है पर विश्वास ऐसा ना हो कि वास्तविक रूप में कुछ और हो और मन में हम कल्पना कोई दूसरी करले।
आंख बंद करके अथवा असलियत से आंख चुराकर कुछ और करते हैं तो फिर हम उन अंधविश्वासों की ओर बढ़ जाते हैं। किसी वस्तु की वास्तविकता और उसका उद्देश्य ना जानते हुए तर्कसंगत ना होते हुए भी उसे करते चले जाना ही अंधविश्वास की जड़ है जिसे नकारात्मक भाव मन पर हावी हो जाते हैं।
आसपास का वातावरण व्यक्ति अथवा किसी वस्तु से अपने आप को दूर करने का नाम भक्ति नहीं है भक्ति हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं सिखाती अपितु उसी में रहते हुए हर पल हर श्वास में परमात्मा का एहसास करते हुए आनंदित रहने का नाम भक्ति है। भक्ति किसी नकल का नाम नहीं यह हर एक की व्यक्तिगत यात्रा है।
हर दिन ईश्वर के साथ जुड़े रहकर अपनी भक्ति को प्रबल करना है इच्छाएं मन में होनी लाजिमी है पर उनकी पूर्ति न होने से उदास नहीं होना चाहिए। अनासक्त भाव से अपना विश्वास पक्का रखने में ही बेहतरी है। इसी से वास्तविक रूप में इंसान आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकता है।
समागम में सेवादल रैली का आयेजन हुआ जिसमें देश एवं दूर देशों से आए हुए सेवादल के भाई बहनों ने भाग लिया इस सेवादल रैली में विभिन्न खेल शारीरिक व्यायाम शारीरिक कर्तव्य फिजिकल फॉरमेंस माइम एक्ट के अतिरिक्त मिशन की सिखलाइयों पर आधारित सेवा की प्रेरणा देने वाले गीत एवं लघुनाटिकाये मर्यादित रूप में प्रस्तुत की गई।
सेवा दल की रैली को अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि तन मन को स्वस्थ रहकर समर्पित भाव से सेवा करना हर भक्त के लिए जरूरी है, भले वह सेवा दल की वर्दी पहन कर करता हो अथवा बिना वर्दी पहने। हर एक में परमात्मा को देखकर हम घर में समाज में मानवता के लिए मन में सेवा का भाव रखते हुए जो भी कार्य करते है यह एक सेवा का ही रूप है सेवा करते वक्त विवेक और चेतनता की भी निरंतर आवश्यकता होती है।