मुझे एक बार फिर सरहद से मेरी मां बुलाती है
गांधी जयंती पर जिला कारागार में कवि सम्मेलन आयोजित
संकल्प सवेरा,जौनपुर। राष्टपिता महात्मा गांधी की 192वीं जयंती के अवसर पर जिला कारागार में भव्य कवि सम्मेलन एंव मुशायरे का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए वाराणसी से पधारी कवयित्री रंजना राय ने- तू ही कल्पना, तू ही सर्जना, तू ही अर्चना तू ही वंदना। अनुराग ही मेरा राग है, मै जानती छल्ल-छंना।।
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पंक्तियोंं के माध्यम से वाणी वंदना प्रस्तुत की। शायर मोनिस जौनपुरी ने- उनकी आवाज पे सारा चमन जाग उठे। काश ले के कोई गांधी का मिशन जाग उठे पंक्तियों के माध्यम से बापू को याद किया। कवयित्री सुदामा सौरभ ने अपने मधुर कण्ठ से-बड़ा नीक लागे सजन तोरा गांव रे गीत प्रस्तुत किया तो श्रोतागण झूम उठे।
ओज के सशक्त कवि डा. रणजीत सिंह ने वतन किस हाल में होगा यही चिंता सताती है। मुझे एक बार फिर सरहद से मेरी मां बुलाती है। कविता के माध्यम से राष्ट्रीय ऊर्जा का संचार किया।
वाराणसी से पधारी कवयित्री विभा शुक्ला ने इस खत को कबूतर लेकर जा, इक मां मोहब्बत है इसमें जैसे गीतों से वाहवाही लूटी। कवि गिरीश ने अवधी भाषा के छंदों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हाव्य कवि झगडू भइया ने- इम्तहान निअरायल भायवा तब तो बहुत उदास हो गइली तथा डंडा बनारसी ने-मेरे मौसा गवैये हैं जो दीपक राग गाते हैं। जिसे सुनकर के गदही और गदहे भाग जाते हैं।।
जैसी हास्य कविताओं से लोगों को लोटपोट कर दिया। गीतकार शशांक देव सिंह ने- देखा केके कोइलिया बोलावत बाय गीत से श्रृंगार रास की अनुपम छटा बिखेरी।
कार्यक्रम में डा. अशोक मिश्र, हनीफ अंसारी, देवेन्द्रशुक्ल आदि ने प्रभावी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के आरंभ में जिलाधिकारी मनीष वर्मा, आकांक्षा समिति की अध्यक्षा अंकिता राज तथा उपजिलाधिकारी हिमांशु नागपाल ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण किया।
आमंत्रित कवियों का स्वागत बेहोश जौनपुरी, कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. प्रेमचन्द विश्वकर्मा तथा सफल संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने किया।
आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापन कारागार अधीक्षक डा. केसी पांडेय ने किया।