जिनका फूलता था दम, अब आरबीएसके के दम पर खेल रहे कबड्डी
-जिले के 24 बच्चों के दिल में छेद का आपरेशन कराकर दिया खुशहाल जीवन
-अभी करीब 10 बच्चों के इलाज के लिए चल रही प्रक्रिया
– आरबीएसके के अंतर्गत 41 बीमारियों का होता है निःशुल्क इलाज
संकल्प सवेरा,जौनपुर। चार साल की अल्का को सांस लेने में दिक्कत थी जिससे वह दूसरे बच्चों की तरह खेल नहीं पाती थी। 13 साल की गुंजन दौड़ती थी तो उसका दम फूलता था। खाना शरीर में नहीं लगता था। तीन साल का बच्चा अभि भी दूध पीने पर उल्टी कर देता था। उसे खांसी आती थी, बार-बार सर्दी होती थी। बुखार रहता था और खेलना नहीं चाहता था लेकिन अब तीनोंं स्वस्थ और खुशहाल हैं।
यह सब कुछ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत संभव हुआ है । कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ राजीव कुमार बताते हैं कि तीनों बच्चों को यह दिक्कत कन्जीनाइटिल हर्ट डिजीज (दिल में छेद) की वजह से थी। आरबीएसके के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (जन्मजात दोष), कटे होठ और तालु, क्लब फूट (टेढ़ा पैर), जन्मजात मोतियाबिंद, दिल में छेद, जन्मजात बहरापन, डिफीसिएन्सीज सहित 41 प्रकार की जन्मजात व गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों के इलाज की निःशुल्क सुविधा दी जाती है।
21 ब्लाकों में 42 टीमें: डिस्ट्रिक्ट अर्ली इनटर्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) मैनेजर अमित गौड़ बताते हैं कि जौनपुर की आरबीएसके की टीम अब तक 24 दिल में छेद (कान्जीनेटल हर्ट डिजीज) की बीमारी से परेशान बच्चों का सफल आपरेशन करा चुकी है। 10-12 बच्चों की आपरेशन की फाइलें अलीगढ़ भेजी जा चुकी हैं। उन बच्चों को सर्जन ने दवा देकर एक महीने बाद ओपेन हार्ट सर्जरी के लिए बुलाया है। जिले के 21 ब्लाकों में आरबीएसके की 42 टीमें हैं। हर टीम में दो डॉक्टर हैं। जो सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर 19 साल तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर जन्मजात व गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को चिह्नित करते हैं। दिल में छेद के इलाज में 10 से 12 लाख रुपए का खर्च आता है लेकिन आरबीएसके के तहत नि:शुल्क इलाज होता है।
खुश हैं परिवार वाले: अल्का अब पूरी से स्वस्थ है और उसके पिता विनोद विश्ववकर्मा उसके इलाज से बेहद खुश हैं। जिस समय मुलाकात हुई अल्का नीम के पेड़ से लटकाई रस्सी के सहारे अकेले झूला झूल रही थी। बैठे रहने के दौरान ही चंचलता वश दरवाजे पर बैठे कुत्ते को मारकर भगा दिया। गुंजन भी हम उम्र बच्चों के साथ अपने स्कूल में कबड्डी खेलती है और दौड़ में भाग लेती है। पूरी तरह से स्वस्थ है और जो भी खाती है शरीर को लगता है। उसके पिता राकेश यादव बेटी को स्वस्थ देखकर आरबीएसके की कोशिशों के लिए तारीफ करते हैं। अभि में वह सारी बाल सुलभ चंचलता हैंं जो उस उम्र के बच्चों में होनी चाहिए। उसके पिता अजय दूबे कहते हैं कि अभि अपनी मां तथा दादा-दादी सभी के साथ खेलता रहता है। अब उसे कोई दिक्कत नहीं है।
कैसे मिली इलाज की सुविधा: सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बदलापुर में आरबीएसके के मेडिकल आफिसर डॉ मनीष मौर्या बताते हैं कि बीते साल दिल में छेद के तीन बच्चे चिह्नित किए गए थे जिनका इलाज कराया गया। बच्चों में एक अभि दूबे हैं रामपुर से। अल्का विश्वकर्मा नाभीपुर, गुंजन यादव तियरा बदलापुर की हैं। इन तीनों बच्चों के दिल में छेद का आपरेशन आरबीएसके की टीम ने अलीगढ़ मेडिकल कालेज से कराया। तीनों स्वस्थ हैं और अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।
कैसे पता चलता है दिल में छेद की समस्या: डॉ मनीष बताते हैं जब इन बच्चों की जांच हो रही थी तब वे कमजोर दिखे। सांस लेने में समस्याओं का सामना कर रहे थे। भूख न लगना, और बच्चों की तरह खेल न पाना जैसी भी समस्याएं थीं। एक जगह एकांत में खड़े रहने की प्रवृत्ति दिखी। स्ट्रेप्थोमीटर (आला) लगाने पर सामान्य बच्चों की अपेक्षा उनके हृदय की आवाज कुछ अलग सुनाई दी जिससे पता चला कि वे दिल में छेद से प्रभावित हैंं। शनिवार को सीएचसी बुलाकर बच्चों के डॉक्टर को दिखाकर मर्ज कन्फर्म किया गया। वहां से बच्चे को पूरा सीएचडी चिह्नित करवाकर उसे अलीगढ़ मेडिकल कालेज के लिए रेफर करवा देते हैं जहां उसका नि:शुल्क सीएचडी का आपरेशन हो जाता है। रेफर करने के लिए सीएमओ और एमओआईसी दोनों लोगों की अनुमति जरूरी होती है। इसके लिए कागज डीईआईसी मैनेजर के माध्यम से पूरा करवाते हैं।