समर्पित भाव से की गई पूजा से पभु होते हैं प्रसन्न
रिपोर्ट – आकाश मिश्रा
संकल्प सवेरा,सिकरारा । क्षेत्र के बिसावा स्थित विश्वेश्वर नाथ महादेव धाम पर सोमवार को पूजन अर्चन के साथ संगीत मय भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथा व्यास सुदर्शनाचार्य जी महराज ने सुधी कथा प्रेमियों को कथामृत रस पान कराते हुए जीवनोपयोगी कई व्याख्यान से लोगो को मंत्र मुग्ध कर दिया।
उन्होंने बताया कि धर्म के चार भाग हैं जिनमे दान का महत्व पूर्ण स्थान है। इस कलियुग में सत्य तप पवित्रता का पूरी तरह लोप होता जा रहा है।दान ही एक ऐसा साधन है जिससे मानव व मानवता को अच्छी गति प्राप्त हो सकती है। उन्होंने बताया कि पदम् पुराण में यमराज ने बताया है कि दान उसे दें जिसने कभी भी नशा का सेवन न किया हो। कुपात्र को दान करने वाला स्वयं श्वान बनकर फिर जन्म लेता है।यदि दान देने वाला ब्राह्मण है तो उसकी और भी खराब गति होती है। वह सूकर योनि में जन्म लेता है। दान तभी कल्याणकारी होता है जब उसे सुपात्र को दिया जाय। इसके दो भेद हैं।सर्वस्य और निमित्त दान।राजा हरिश्चंद्र ने सर्वस्य दान किया फिर भी उन्हें मुक्ति नहीं मिली।इसके पीछे कारण था कि उन्होंने वह सम्पदा भी अपनी समझकर दान दे दिया जो प्रजा की थी।जो प्रजा के दुख सुख में उपयोग के लिए उन्हें मिली थी। हमेशा आय का दशांश दान करिए कल्याण कारी होगा। जिस राजा के राज में प्रजा को कष्ट होगा उसे कभी मुक्ति नहीं मिलती। मानस में गोस्वामी जी ने लिखा है जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी। सो नृप अवसि नरक अधिकारी। द्युत क्रीड़ा में युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया।इस घटना में द्रौपदी ने भीष्म से प्रश्न किया था कि जब युधिष्ठिर सब कुछ हार गए तो पत्नी को फिर से दाँव पर लगाने का अधिकार उन्हें कैसे मिल गया। उस समय आप भी उस सभा मे उपस्थित थे।आपने भी कोई प्रतिरोध क्यों नही किया। पितामह ने कहा कि यह सब दुर्योधन के उस दूषित अन्न का कुप्रभाव था जिसे मैं ग्रहण कर रहा था। साथ आगे बढा। प्रारम्भ में यजमान जय प्रकाश सिंह ने भागवत ग्रन्थ व व्यास गद्दी का पृजन कर आरती उतारी।श्रद्धालुओं ने व्यास जी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। प्रमुख रूप से लालमणि तिवारी रमाशंकर मिश्र बैज नाथ यादव श्यामलता तिवारी देवेंद्र कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु रहे।