काबुल. कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन तालिबान ने अब उत्तरी अफ़गानिस्तान के एक सुदूर क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है. इसके बाद तालिबान ने अपना पहला आदेश जारी किया. इसमें कहा गया है कि महिलाएं किसी पुरुष के साथ बाज़ार नहीं जा सकतीं. पुरुष दाढ़ी नहीं काट सकते और ना ही स्मोकिंग कर सकते हैं. कहा गया है कि इस आदेश को ना मानने वालों से सख़्ती से निपटा जाएगा.
न्यूज एजेंसी एएफपी ने कुछ स्थानीय लोगों के हवाले से यह ख़बर दी है. इन लोगों का कहना है कि तालिबान ने स्थानीय इमाम को ये सभी शर्तें एक लेटर में लिखकर दी हैं.
नाटो सैनिकों के लौटने के साथ ही तालिबान ने अफ़गानिस्तान में बढ़त बनानी शुरू की थी. तालिबान का दावा है कि अब उसके कब्ज़े में अफ़गान सरकार से ज़्यादा बड़ा क्षेत्र और कहीं अधिक संसाधन हैं. अफ़ग़ान सरकार से कहा गया है कि वो अपने सैनिकों से आत्मसमर्पण करने को कहे, क्योंकि तालिबान शहरों में लड़ाई नहीं लड़ना चाहता.
तालिबान ने अब तक इन इलाकों पर जमाया कब्जा
जिन शहरों को तालिबान ने घेर रखा है, वो उत्तर के उन प्रांतों में हैं जिनकी सीमाएं अफ़ग़ानिस्तान के मध्य एशिया के पड़ोसी देशों से सटी हैं. तालिबान ने परवान प्रांत में स्थित घोरबंद घाटी पर कब्ज़ा जमा लिया है, जो रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है. इससे इस प्रांत की राजधानी चरिकार के लिए ख़तरा बढ़ गया है, जो काबुल, घोरबंद और हाल ही में अमेरिकी सेना के ख़ाली किए बगराम हवाई अड्डे से महज 60 किलोमीटर दूर है. कंधार में शोरबक, अर्गेस्तान, माइवांड, ख़ाकरेज़, पंजवाई, मरूफ़, शाह वाली कोट और घोरक ज़िले पर भी तालिबान का कब्ज़ा है.
इसके साथ ही दक्षिणी प्रांत निमरोज़ के ज़िले चखनपुर और डेलाराम के पतन के बाद प्रांतीय राजधानी ज़रंग और ईरान के साथ सटे मिलक-ज़रंज बॉर्डर क्रॉसिंग पर ख़तरा बढ़ रहा है.
अब तक 3600 नागरिकों की मौत
अप्रैल में संघर्ष शुरू होने के बाद अबतक 3600 नागरिकों की मौत हुई है. अफगान मिलिट्री के 1000 जवान और अफसर भी मारे गए हैं. 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. वहीं, नॉर्थ अफगानिस्तान से हजारों लोग पलायन कर गए हैं.