संकल्प सवेरा,चंदौली. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम भारत ने एक बार फिर की उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार तारीफ की है. यूएनडीपी ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को ब्लैक राइस का निर्यात करने के लिए चंदौली जिले को आकांक्षी जिले के रूप में सराहा है. और उन्हें स्थानीय क्षेत्र के विकास का एक बहुत ही सफल मॉडल माना है,
साथ ही यह भी सलाह दी ही कि इस तरह के मॉडल राज्य और देशों के लिए सर्वोत्तम है, इसको अभ्यास में लाना चाहिए. यूएनडीपी यानी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने इस निर्यात मॉडल को लेकर एक बार फिर योगी सरकार की तारीफ की है. यूएनडीपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जिन देशों में क्षेत्रीय भेदभाव है, यह मॉडल उनके लिए बेहद उपयोगी है.
दरअसल यूएनडीपी की रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की प्रशंसा की जिसे पूर्वी यूपी के चावल के कटोरे के रूप में जाना जाता है, जिसने वैश्विक बाजारों में इसकी उच्च मांग और अच्छे लाभ मार्जिन के कारण काले चावल की खेती के साथ प्रयोग करने का फैसला किया. यह परियोजना सफल रही
और उच्च गुणवत्ता और औषधी गुण वाले काले चावल अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को निर्यात किए जा रहे हैं. काले चावल को दूसरे देशों में निर्यात करने का विकल्प भी तलाशा जा रहा है.
राज्य के कृषि क्षेत्र में अभिनव प्रयोग के लिए योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल बदलाव के लिए एक अहम स्थान रखता है. किसानों की आय को दोगुना करना और कृषि क्षेत्र से निर्यात बढ़ाना और देश के ‘मेक इन इंडिया’ ब्रांड को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य को लेकर योगी सरकार ने यह योजना स्थापित करी
और वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के रूप में पहेचान भी दी है. सरकार के इस प्रयास से किसान भी खुश हैं और सरकार की सराहना कर रहे हैं.
दरअसल ब्लैक राइस एक औषधीय गुणों वाला चावल है. यह चावल शुगर फ्री तो होता ही है. साथ ही साथ इसमें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को रोकने की भी क्षमता होती है और एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी भरपूर मात्रा में पाया जाता जाता है. यही वजह है कि ब्लैक राइस की काफी डिमांड होती है और यह काफी महंगे दामों पर बेचा जाता है.
इसकी एक खासियत और होती है कि इसकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है, जिसमें रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं होता है.
जिला प्रशासन की यह पहल दो साल बाद अब सफल होती दिख रही है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहीं मेनका गांधी ने किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था. इसके बाद मणिपुर से प्रयोग के तौर पर ब्लैक राइस का बीज मंगाया गया.
शुरुआत में ब्लैक राइस का बीज जिले के 30 प्रगतिशील किसानों को दिया गया था, जिसकी क्रॉप कटिंग में उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले. इसके बाद अगले सीजन में ब्लैक राइस की खेती का दायरा बढ़ाया गया और हजार से ज्यादा किसानों ने इसकी खेती की.