जम्मू-कश्मीर के एलजी (LG) मनोज सिन्हा (Manoj sinha) के निर्देश पर अब केसर (Saffron) की खेती को बढ़ाने के लिए जीआई टैगिंग (GI-Tegging) सुविधा शुरू की गई है. इससे किसानों (Farmers) को केसर की पैदावार से लेकर बेचने की सारी सुविधा मुहैया कराई जाएगी.
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के किसानों (Farmers) और देश के आम नागरिकों को अब बड़ी सौगात मिलने वाली है. जम्मू-कश्मीर के एलजी (LG) मनोज सिन्हा (Manoj sinha) के निर्देश पर अब केसर (Saffron) की खेती को बढ़ाने के लिए जीआई टैगिंग (GI-Tegging) सुविधा शुरू की गई है. इस नई तकनीक के जरिए राज्य सरकार किसानों को केसर की पैदावार से लेकर बेचने की सारी सुविधा मुहैया कराएगी. कश्मीरी केसर को अब देश के सभी मंडियों में उतारने के लिए ई-मार्केटिंग की सुविधा शुरू की गई है. जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग ने केसर के खरीदारों से एक वेबसाइट www.saffroneauctionindia.com पर ई-ट्रेडिंग के लिए रजिस्टर्ड करने को कहा है. इस वेबसाइट पर केसर के फसल का पूरा रिकॉर्ड रहेगा. इससे किसान सीधे मंडियों के संपर्क में रहेंगे और बिचौलियों की दाल नहीं गलेगी. इस वेबसाइट के जरिए देश का कोई भी आदमी केसर खरीद सकता है.
कश्मीरी केसर अब आम भारतीय तक पहुंचेगा
बता दें कि पहले जम्मू-कश्मीर में केसर उगाने वाले किसानों को माल बेचने के लिए बिचौलियों को कमीशन देना पड़ता था. जम्मू-कश्मीर के 200 से अधिक गांव के हजारों किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. हाल के दिनों में कई किसानों ने राज्य की मौजूदा स्थिति को देखते हुए केसर की खेती से तौबा करने का फैसला किया था. साल 2014 में बाढ़ आने के बाद से ही और पत्थरबाजी की घटना के बाद राज्य के किसानों ने केसर की खेती छोड़ दी थी, लेकिन हाल के दिनों में राज्य सरकार के आश्वासन के बाद किसानों ने फिर से केसर की खेती शुरू की है.
राज्य सरकार किसानों को केसर की कीमत प्रति किलो ग्राम एक लाख रुपये से बढ़ा कर ढ़ाई से तीन लाख रुपये तक करने पर विचार कर रही है. इससे यहां के किसानों का बड़ा फायदा मिलने वाला है. बता दें कि भारत में केसर को कई नामों से जाना जाता है. कहीं कुंकुम तो कहीं जाफरान तो कहीं सेफ्रॉन कहा जाता है. केसर काफी महंगा होता है. इसलिए इसे इसे लाल सोना भी कहा जाता है. भारत में केसर की खेती जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़, बडगांव, श्रीनगर और पंपोर में होती है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी केसर की खेती शुरू हुई है.
कश्मीरी केसर की क्वालिटी सबसे बढ़िया
दुनिया में केसर की कीमत इसकी क्वालिटी पर लगाया जाता है. दुनिया के बाजारों में कश्मीरी केसर की कीमत 3 लाख से 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है. केसर के पौधों में अक्टूबर के पहले सप्ताह में फूल लगाने शुरू हो जाते हैं और नवंबर में यह तैयार हो जाता है. इस साल भी नवंबर महीने से किसान ऑनलाइन मंडियों से संपर्क कर इसे बेच सकेंगे.
गौरतलब है कि दुनिया में केसर की सबसे ज्यादा पैदावार ईरान में होती है. इसके बाद जम्मू-कश्मीर का नंबर आता है. पूरी दुनिया में कश्मीरी केसर की मांग सबसे ज्यादा है. केसर अपने ठंडक के लिए मशहूर है. गर्म प्रदेश में केसर की मांग ज्यादा है. यह लोगों के लिए यह अमृत के समान है और इसलिए इसे लाल सोना भी कहते हैं. यह सुनहरे लाल रंग का होता है. आप किसी भी चीज में जब इसको मिलाते हैं तो उसका कलर पीला हो जाता है. भारत के लोग केसर को ज्यादातर मिठाइयों में इस्तेमाल करते हैं. यह कैंसर, अनिद्रा, एनीमिया, पाचन, दिल संबंधी बीमारी के साथ-साथ शरीर के लिए काफी फायदेमंद है












