SANKALP SAVERA
काशी की धरती नित नए कार्य , अविष्कार करती है,जो काशी के साथ ही,समाज और देश के लिए अनुकरणीय बन जाती है। दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है ऐसे में जीवन की गाड़ी ठप सी पड़ गई है। आम जन जीवन प्रभावित हो रहा है। तीज-त्योहार फीके हो गए है,ऐसे में काशी की सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था प्रमिलादेवी देवी फाउंडेशन ने अपने फेसबुक ग्रुप से कजरी महोत्सव का आयोजन किया जिसमें काशी के वरिष्ठ कजरी गायकों के साथ मिर्ज़ापुर,प्रयागराज,सोनभद्र, अमरोहा से कजरी गायकों ने भाग लिया,जिसका सीधा प्रसारण फेसबुक पेज के माध्यम से किया गया। कजरी गीतों में सावन में शिव के श्रृंगार के गीतों के साथ,कृष्ण की बाल लीला का वर्णन,पिया से विरह-वेदना थी,तो पर्यावरण और कोरोना से बचाव के तरीकों को भी कजरी में ढाल दिया गया।
कजरी गीतों में “हरे रामा, लहरे तिरंगा असमान भारत के शान रे हरी,
“बहारें याद करती हैं हवाएं याद करती हैं ।
ये रिमझिम की फुहारें और सदाएं याद करती हैं”
“मैया कब देबू दर्शन वा अब तो चढ़ल सवनवा ना मैया के माथे टीका सोहे”
“पिया मेहंदी लिया दादा मोती झील से”
“श्याम बचपन मे बकैयाँ चले” सुना कर श्रोताओं का मन मोहा।
फाउंडेशन की संस्थापिका पायल सोनी ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम करने से बहुत खुशी मिलती है,क्योंकि इसमें नई प्रतिभागियों को एक मंच प्रदान किया जाता है,जो उनकी प्रतिभा को निखारने के काम करती है,जो उनके भविष्य के लिए मिल का पत्तर साबित हो रही है,उन्हें स्वयं की पहचान मिलती है।
दूसरा सबसे बड़ा लाभ यह है कि लॉकडाउन और आर्थिक संकट के जूझ रहे कलाकारों को एक संजीवनी मिलती है,जिससे उन्हें उत्साह मिलता है और इस कठिन समय को सकारात्मक रूप से देखते है और जीवन के प्रति नजरिया आशावादी बनता है।यह एक तरह से अवसाद से निकालने का एक तरीका है।
कार्यक्रम में डॉ. शिवा मिश्रा, डॉ. लियाकत अली जलज,प्रदुम्न त्रिपाठी,मुजाहिद चौधरी,कंचन जायसवाल,आरती चौबे,डॉ. स्मृति त्रिपाठी, सौम्या वर्मा,डॉ. प्रिया पांडेय, अनिल तिवारी कजरी गायको ने अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में सह-संयोजिका प्रीति जायसवाल व शाम्भवी मिश्रा रही तथा कार्यक्रम का संचालन उप-शास्त्रीय नर्तक अमित श्रीवास्तव ने किया।
धन्यवाद
मीडिया प्रभारी
मिथिलेश सोनी
प्रमिलादेवी फाउंडेशन
वाराणसी