यह रिपोर्ट फ़ेसबुक से ली गयी है Brijesh singh youth grup se.
जनपद जौँनपुर से मल्हनी विधान सभा के विधायक पारस नाथ यादव के दिवंगत होने के बाद एक बार फिर से उपचुनाव की संभावना बन गई है। –मल्हनी विधानसभा पहले रारी के नाम से जानी जाती थी परसीमन के बाद मल्हनी हो गई। –रारी विधान सभा से लगातार दो बार बाहुबली धनन्जय सिंह विधायक हुए, मात्र 26 27 साल की उमर में जब राजनीति में माना जाता है कि दूध के दांत नही टूटे होंगे तब2002 में धनन्जय सिंह ने पूर्व मंत्री और विधायक श्री राम यादव को निर्दल हरा के तहलका मचा दिया था।चुनाव परिणाम ने जौँनपुर की राजनीति बदल दी, जिस बच्चे का बचपन नही बीता अभी उसने राजनीत के बड़े बड़े पुरोधा को एक झटके के किनारे लगा दिया, पूरे जौँनपुर की निगाह धनन्जय पे टिक गई। —धनन्जय यही नही रुके जैसे क्रांति उनके जीवन को संचालित कर रही हो, उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, मायावती जैसी आयरन लेडी मुख्यमंत्री, उनकी तानाशाही के खिलाफ राजा भैया के साथ धनन्जय सिंह ने विरोध का विगुल फूंक दिया।सभी राजनैतिक पंडित हैरान की इस लड़के की हिम्म्मत देखो, शासन से दबाव और लालच दोनो दिया गया लेकिन बहादुर धनन्जय झुके नही। –फिर तो वही होना था जो सरकार करती है राजा भैया और धनन्जय आधी रात को गिरफ्तार कर लिए गए और जेल भेज दिया गया। –जेल में रहते धनन्जय की चिंता में उनकी माता जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया, धनन्जय भले बड़े नेता बन गए हो लेकिन मा के लिए अभी नादान थे उनके विद्रोह से भयभीत माँ हृदय घात सह ना सकी।विडम्बना देखिए कि धनन्जय जेल में थे अपनी मां का अंतिम दर्शन करने के लिए सरकार से अनुरोध किया, बोला गया — ;;:माफी मांग लो बाहर कर दिया जाएगा*
ये तो होना नही था, अंतिम दर्शन की अनुमति नही मिली, तेरहवीं में अदालत के निर्देश पे 3 घटे के लिए अपने गांव बाँसफा लाये गये।
–राजा भैया और धनन्जय के विगुल ने उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन कर दिया, सपा की सरकार बनी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री।
–धनन्जय और राजा भैया जमानत पे बाहर आये, मुलायम सिंह ने राजा भैया को मंत्री बनाया धनन्जय को लोकसभा का टिकट देने का वादा करके अपनी राजनैतिक चाल चली।
—2004 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह धनन्जय को कहते रहे तैयारी करो चुनाव लड़ना है लेकिन अंतिम समय बोल दिए कि अमर सिंह ने दूसरे को दिला दिया।
–वादा खिलाफी से आहत सबके मना करने के बाद भी धनन्जय निर्दल जौँनपुर लोकसभा से चुनाव लड़ गये, चुनाव तो नही जीते लेकिन1 लाख से अधिक वोट पाकर उन्होंने बता दिया कि जौँनपुर की राजनीति उनके चाल पे ही निर्भर रहेगी चाहे अच्छी हो या बुरी। गृह मंत्री और तब के सांसद स्वामी चिन्मयानंद चौथे स्थान पे चले गए और जौँनपुर तथा राजनीति से उनकी विदाई भी हो गई।आज भी इसका कारण वो धनन्जय को मानते हैं।
—2007 के विधान सभा चुनाव में रारी से दुबारा निर्दल चुनाव जीत विधान सभा पहुँचे।
–2007 में बहुजन समाज पार्टी बहुमत से चुनाव जीती मायावती मुख्यमंत्री बनी, समीकरण फिर से उलझा नजर आया, लेकिन सरकार शांत रही और धनन्जय चुप।
–सलाहकारों ने मायावती को समझाया कि लोकसभा चुनाव जौँनपुर से धनन्जय को लड़ा दिया जाए, बसपा के लिए जौँनपुर कमजोर सीट है।
–2009 में धनन्जय लोकसभा का चुनाव धमाकेदार ढंग से एक लाख से अधिक मतों से जीतकर संसद दिल्ली के लिए रवाना हुए।
–रारी विधानसभा फिर रिक्त हो गई, उपचुनाव में धनन्जय ने अपने 70 वर्षिय पिता को चुनाव जितवा दिया ,लोग आज भी सोचते हैं कि अपने पिता को ऐसा राजनैतिक सम्मान धनन्जय ही दे सकते है जबकि उनके पास कई विकल्प थे।
—उसके बाद तो धनन्जय ने जौँनपुर की राजनीति में भूचाल ला दिया, कोई भी चुनाव उनके आस पास सिमट के रह गया, ब्लॉक प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद तो उनके लोगो को पंजीरी जैसे प्रसाद के रूप में मिल गए, विधान परिषद में अपने कई लोगो को भेज दिया।
—लेकिन यही से चूक भी हो गई अपने तेवर के नाते फिर मुख्यमंत्री मायावती का विरोध कर दिया, और जेल में डाल दिये गए,2012 के चुनाव में पार्टी ने टिकट नही दिया।
–लेकिन धनन्जय कहा शांत रहने वाले जेल से अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा दिया, तब तक रारी मल्हनी हो चुका था और सपा के लिए गढ़ भी, पारस नाथ जैसा नेता भी सामने था, पारस चुनाव जीत गए और धनन्जय की पत्नी निर्दल दूसरे स्थान पे रहीं।
–धनन्जय का ग्रह नछत्र यही से गड़बड़ हुआ, परिवारिक परेशानी में उलझ गए, एक के बाद एक घटनाएं ऐसी घटी की धनन्जय विचलित हो उठे, उनके नजदीकी लोग आज भी बताते हैं कि कुचक्र ने ऐसा घेरा था कि लगा कही धनन्जय जीवन से ना निराश हो जाये।
—लेकिन धनन्जय लड़ाकू निकले धीरे धीरे उलझनों को दूर किया फिर2017 का चुनाव आ गया कही से टिकट नही मिला निर्दल धनन्जय चुनाव लड़े लेकिन मल्हनी का जातिगत समीकरण सपा के साथ बन गया है, अब पुराना रारी नही रहा, ऊपर से पारस नाथ जैसा लड़ाकू नेता जोरदार लड़ाई में धनन्जय दूसरे नम्बर पे रहे।
–यहाँ उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में325 सीट जीतने वाली बी जे पी चौथे स्थान पे थी।
—धनन्जय की अपने छेत्र में गजब की लोकप्रियता है, उन्होंने विकास के बहुत से काम करवाये है, गरीबो की मदद करने वाला नेता तो उनके जैसा शायद ही कोई हो।
–लेकिन धनन्जय सिंह ने चूक भी की बाहुबली रहते लोगो ने उन्हें जो प्यार दिया था उनको संभालने में चूक हुई, कुछ विडंबना कुछ पद का अहम, कुछ अगल बगल रहने वालों की हरकतें उनके चाहने वालो को चुभती हैं।
–जौँनपुर के लोग चाहते हैं, हमे हमारा पुराना धनन्जय मिले, जो मेरा बेटा और भाई था, जिसको खुलेआम डांटा जा सकता था, किसी भी गलत कदम का विरोध करने पे शांत रहने वाला धनन्जय।
उसके अगल बगल सुरक्षा में चलने वाली बंदूके किसी भी गरीब और मदद मांगने वाले के सामने झुक जाया करती थी।अपने से किसी बड़े को देख धनन्जय पैर पे झुक जाया करते थे साथ ही साथ उनका पूरा काफिला भी, लोगो को लगता धनन्जय ने मेरा मान बढ़ा दिया।
–लेकिन समय के साथ धनन्जय में कुछ बदलाव आ गया, मान सम्मान बढ गया वो पैर जिनके सामने धनन्जय झुक जाया करते थे, उनकी हैसियत के सामने अब जाने में घबराने लगे हैं, कुछ कुछ तो कांप उठते हैं।
—लेकिन धनन्जय आज भी वैसे हैं अंदर से बस अहसास नही है, ।
***उठो धनन्जय फिर अपने पुराने रूप में आ जाओ, बहुत से घरों के मुरझाए चेहरे अपने बेटे और भाई धनन्जय को देखना चाहते हैं, ना कि बाहुबली सांसद को।
जब सरकार सर पे इनाम रख के खोज रही थी तब अपने आँचल में तुमको छुपा लेने वाली माओ की गोद आज भी उसी धनन्जय को समेट लेना चाहती हैं।तुम्हारे भाई जैसे दोस्त और सहयोगी आज भी खून की अंतिम बूद तक साथ देने को तैयार है।
–हे अर्जुन देखो अपने आप को आओ लोगो के बीच बोलो मैं वही आपका बेटा और भाई धनन्जय हु, अगर दूर हुआ तो मेरी गलती है, मुझे उन्ही चरणों में जगह चाहिए जहाँ से मैं बाहुबली से लोकप्रिय जनप्रतिनिध बना।
—आओ पार्थ मल्हनी भी तुम्हे याद करती है, जनता भी, यहाँ का विकास भी और यहाँ की भावनाएं भी।
—आओ, आओ आओ—
कारागार से निकलो धरती पुत्र तुम्हे अभी इस धरती का बहुत कर्ज चुकाना है, तुमने अभी बहुत प्यार अधूरा छोड़ा है, उसी को लेकर आ जाओ।
–मल्हनी के संग्राम में हम लोग तुम्हारा इंतजार कर रहे।
तुम्हारे चाहने वाले जिन्हें तुम भूल गए या समय ने यादों पे धूल की परत डाल दी।💐💐💐💐🙏🙏🙏
जय #धनंजयजय जौनपुर यह रिपोर्ट फ़ेसबुक से ली गईई है Brijesh singh prinshu youth bigred grup se.