पीओ डूडा पर अभिलेखों में हेरा फेरी का लगाया आरोप
डूडा में प्रधानमंत्री आवास में घूसखोरी का मामला
जौनपुर। डूडा कार्यालय में पीओ द्वारा सामुदायिक आयोजक को कार्यमुक्त करने का विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ जहां लखनऊ सूडा मुख्यालय ने परियोजना अधिकारी के उक्त कृत्य पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अनुशासनहीनता माना है तो वहीं पीओ ने अभी तक सामुदायिक आयोजक को पद पर बहाल नहीं किया है। उक्त संदर्भ में सीओ ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर यह भी गुहार लगायी है कि डूडा कार्यालय में सब कुछ ठीक नहीं और अधिकारी उन्हे फंसाने के लिये अभिलेखों में परिवर्तन कर रहे है। जिसका प्रमाण उन्होंने कार्यालय की उपस्थिति पंजिका को भी डीएम को दिया है। तथा विभाग के सीसीटीवी रिकार्डिंग को सुरक्षित करवाने की मांग करते हुए जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में लगातार धन वसूली की मिल रही शिकायतों के बीच गत सप्ताह डूडा कार्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया जब परियोजना अधिकारी कार्यालय में सामुदायिक आयोजक जेई व एक सभासद ने कथित तौर पर एक दूसरे पर घूसखोरी का आरोप लगाने लगे मामला हाथापाई तक पहुंच गया। जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए पीओ ने सीओ ऊषा राय को कार्यमुक्त कर लखनऊ भेज दिया। जिलाधिकारी को दिये प्रार्थना पत्र में ऊषा राय ने बताया कि उक्त घटना 17 फरवरी की है जब उन्होंने विभाग के एक जेई व एक सभासद पर एक महिला से पैसा वसूलने का आरोप लगाते हुए पत्र परियोजना अधिकारी को दिया। बकौल ऊषा राय उक्त पत्र को देखते ही पीओ ने उसे फेंक दिये और उन पर नाराज होने लगे कि तुम प्रधानमंत्री आवास योजना में काम नहीं करती हो। जिस पर उन्होंने उक्त पत्र को कार्यालय के डिसपैच विभाग में रिसीव करा दिया। उसके थोड़ीदेर बाद ही वहां पर जेई व सभासद एक महिला को लाकर सीओ पर धनउगाही का आरोप लगाने लगे जिस पर मामला बढ़ गया। ऊषा ने अपने पत्र में जिलाधिकारी को बताया कि पीओ ने उक्त 17 फरवरी को धरना को 15 फरवरी को दिखाते हुए उन्हे 15 फरवरी को ही कार्यमुक्त का आदेश बनाकर मुख्यालय भेज दिया। सीओ ने आरोप लगाया कि यह कूटरचना उन्हे फंसाने के लिये की गयी है जबकि उन्होने 17 फरवरी को भी कार्यालय उपस्थिति में हस्ताक्षर किया है जबकि 17 फरवरी काटकर उससे आगे तिथियों में उन्हे कार्यमुक्त लिख दिया गया है जिस पर पीओ ने हस्ताक्षर करते हुए 15 फरवरी भी लिखा है। समस्त घटनाक्रम को बताते हुए पीड़िता ने जिलाधिकारी से विभाग में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिंग को सुरक्षित करवाने की मांग करते हुए जांच की मांग की है। लगभग एक पखवारे से चल रहे उक्त विवाद से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि डूडा विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है किन्तु पीड़िता के बार बार प्रार्थना पत्र देने पर भी कोई उचित कार्यवाही का ना होना व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।











