महराजगंज।सवंसा गांव स्थित मुख्य यजमान राजेंद्र प्रताप सिंह के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथा व्यास आचार्य वनवासी जी महराज ने कहा मां के हाथों के भोजन में निःस्वार्थ प्रेम के साथ-साथ संस्कार और पोषण छुपा होता है।मां निस्वार्थ भाव से अपने परिवार और.बेटे के लिए भोजन बनाती है। ऐसे में मां के भोजन से बच्चों में निस्वार्थ प्रेम संस्कार नैतिकता का विकास होता है।जबकि होटल के भोजन को बनाने वाला रसोईया अपनी मेहनत का फल प्राप्त करने के लिए भोजन बनाता है।ऐसे मैं इस भोजन में निस्वार्थ प्रेम और संस्कार लुप्त हो जाता है।यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता की व्याख्या करते हुए कहा भारतीय संस्कृति मे नांरिया सदैव पूज्य होती है।नारियां दो कुलो परिवारों को संस्कार मर्यादा नैतिकता और धर्म की शिक्षा प्रदान करती है।इन माताओं द्वारा डाली गई नींव पर बच्चों के भविष्य का संस्कार निर्भर करता है।धर्म की स्थापना व अधर्म के विनाश के लिए महिला शक्ति सदैव सामने आई है।कभी उसने दुर्गा बनकर राक्षस और दुष्टों का संहार किया है।तो कभी सीता और द्रोपदी बनकर दुष्टो के विनाश का कारण बनी है।भगवान अपने भक्तों से प्रेम करते हैं।भक्त के कारण वह अपना अपमान भी बर्दाश्त कर लेते हैं।भगवान तो अपने भक्तों के सेवक बन कर रहना चाहते हैं।इस मौके पर नागेंद्र प्रताप सिंह नन्हे मिश्रा दिनेश सिंह लवकुश भानू प्रताप ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव जितेंद्र पांडेय राजेंद्र मिश्रा ओमप्रकाश सिंह रेखा मंगला बबिता पिंटू दूबे सौरभ ओमप्रकाश सेठ शनी सिंह शानू सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।