मुंबई : चाहे नेशनल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीज़न (एनआरसी) हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून हो सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण यह है कि किसी भी संशोधन के दौरान भारतीय संविधान की मूलआत्मा से छेड़छाड़ ना होने पाए । डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान की रचना के समय सबको बराबर का अधिकार दिया है ।आज इस मुद्दे को लेकर देश भर में विवाद पैदा हुआ है। सरकार को चाहिए कि इसे पूरी तरह स्पष्ट करके नागरिकों को सच्चाई बताए। दूसरी बात यह कि जनता तो हर संशोधन को स्वीकार करेगी लेकिन जहां तक एनआरसी का सवाल है तो पहले से ही लोगों के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड जैसे कई दस्तावेज मौजूद हैं और इन दस्तावेजों की पूरी लिस्ट सरकार के पास भी है। उसी आधार पर पंजीयन होना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि काफी समय से आसाम में इसका व्यापक विरोध हो रहा है ।तो इस तरह का भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है कि नए सिरे से एनआरसी लागू की जाने वाली है। नागरिकों में तनाव पैदा करने की क्या आवश्यकता है। नोटबंदी की तरह एक बार फिर क्यों पूरे देश को लाइन में खड़ा करने का आभास कराया जा रहा है। राष्ट्र की भलाई में लोग लाइन में खुशी खुशी खड़े तो हो ही जायेंगे । लेकिन इसकी आवश्यकता क्या है। क्यों नहीं सारे दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता तय करने के बाद पंजीयन कर लिया जाए। बाद में बचे हुए उन चंद लोगों से सर्टिफिकेट मांगी जाए जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है ।साथ ही ये प्रमाणपत्र उन्हें मुहैया भी कराया जाए। जो गरीब मजदूर तबका है वह किसी भी धर्म जाति का हो कई पीढ़ियों से हमारे देश में रह रहे हैं उनके पास अगर कागजात नहीं है तो आसान तरीके से उपलब्ध कराया जाए।और खास बात यह कि यह सब-कुछ जाति या धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए। हमारे देश के संविधान में हर जाति ,धर्म, वर्ण को समान अधिकार मिला हुआ है। उस का हनन नहीं होना चाहिए । साथ ही मेरी देशवासियों से अपील है कि इन मुद्दों पर भड़काऊ राजनीति कर के देश में तनाव ना पैदा होने दें। सरकारी संपत्ति का नुकसान बिल्कुल ही ना हो कि यह हमारी अपनी संपत्ति है।