[शहर शमता प्रयागराज का गीत कार जनार्दन अस्थाना पथिक पर आधारित स्मारिका का लोकार्पण हिंदी भवन में समारोह पूर्वक किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अजय कुमार ने अस्थाना जी के कवि कर्म की विवेचना की और उनके गीतों के मानव मूल्यों की व्याख्या की ।मुख्य वक्ता पी सी विश्वकर्मा ने अष्ठाना के मानवतावादी और प्रकृति वादी सोच की समीक्षा की,उन्होंने कहा कि अस्थाना जी मूलता श्रृंगार की कवि है। संपादक उमेश श्रीवास्तव ने उनकी कृतियों में नारी और नर के पारस्परिक समातमक रूप को रेखांकित किया। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी में आए कवि अशोक मिश्र ने समाज में व्याप्त अनाचार पर प्रहार करते हुए कहा “उसे चाहिए पालन-पोषण,नेह गेह और शीतल छांव।डरी डरी है सोन चिरैया,वध शाला है तेरा गांव। प्रोफेसर प्रेम चंद्र विश्वकर्मा ने शेर कहा यह पत्थर फरेब देता हे, को खूब पसंद किया गया। प्रोफेसर आरएन सिंह ने पथिक के मुक्तक जिंदगी आपके मुस्कुराती रहे कों पढकर खूब वाहवाही लूटी। इस मौके पर ओपी खरे अनिल उपाध्याय आखिल जौनपुरी अमृत प्रकाश सुशील दुबे अजय विक्रम राजेश मसीहा जौनपुरी आलोक शास्त्री तथा आशुतोष पाल ने काव्य पाठ किया संचालन गिरीश जी और आभार ज्ञापन कवि जनार्दन अस्थाना ने किया।